बिहार के मठ-मंदिरों पर पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, डीएम की अनुशंसा से ही बनेंगे ट्रस्टी
पटना हाईकोर्ट ने धार्मिक न्यास बोर्ड की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और कहा कि बोर्ड लगातार आपराधिक छवि के लोगों को न्यासी नियुक्त कर रहा है। इससे धार्मिक स्थानों की छवि खराब हो रही है।
बिहार राज्य के मठ मंदिरों को लेकर पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। पटना के मारूफगंज स्थित बड़ी देवी जी के प्रबंधक न्यास समिति को पुनर्गठित करने का आदेश पटना के जिलाधिकारी और धार्मिक न्यास बोर्ड को दिया है। न्यायमूर्ति राजीव रॉय की एकलपीठ ने प्रहलाद कुमार यादव और अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। साथ ही कहा कि संबंधित जिले के डीएम और अनुमंडल पदाधिकारी, अखबार में प्रकाशित विज्ञापन में आए इच्छुक नागरिक के अपराधिक इतिहास की पड़ताल कर बोर्ड को अनुशंसा भेजेंगे। उसके आधार पर ही न्यासियों का चयन किया जाएगा।
न्यायमूर्ति रॉय ने धार्मिक न्यास बोर्ड की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और कहा कि बोर्ड लगातार आपराधिक छवि के लोगों को न्यासी नियुक्त कर रहा है। इससे धार्मिक स्थानों की छवि खराब हो रही है। उन्होंने फैसला दिया कि बोर्ड अब किसी को भी धार्मिक न्यास समिति का सदस्य बनाने के लिए केवल उन्हीं नामों पर विचार करेगा, जो संबंधित जिले के डीएम और अनुमंडल पदाधिकारी, अखबार में प्रकाशित विज्ञापन में आए इच्छुक नागरिक के अपराधिक इतिहास की पड़ताल कर बोर्ड को अनुशंसा भेजेंगे। यही चयन का आधार होगा।
गौरतलब है कि 23 जुलाई को पटना हाई कोर्ट ने बोर्ड से निबंधित सूबे के सभी सार्वजनिक मंदिर, मठ और ठाकुरबाड़ी को न्यास समिति के गठन के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था, जिसमें संबंधित जिले के डीएम से जांचे-परखे हुए योग्य नागरिकों की अनुशंसा पर बोर्ड को कार्य करना था। मगर उक्त आदेश का अनुपालन बोर्ड ने मारूफगंज बड़ी देवी जी न्यास समिति के पुनर्गठन में नहीं किया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मारूफगंज बड़ी देवी जी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक न्यास की एक स्थाई समिति को सुचारू कानूनी तरीके से गठित कराने का माकूल वक्त आ गया है।
उन्होंने फौरन पटना डीएम को समिति का पदेन अध्यक्ष एवं पटना सिटी के अनुमंडल पदाधिकारी को उपाध्यक्ष और मालसलामी थाना प्रभारी को सदस्य होने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।