यशी सिंह अपहरण कांड: बिहार पुलिस, सीआईडी नाकाम, अब CBI को कमान, पटना हाईकोर्ट ने सौंपी जांच
मुजफ्फरपुर के एमबीए छात्रा यशी सिंह के अपहरण का मामला पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया है। इस केस को सुलझाने में अब तक बिहार पुलिस, सीआईडी सफल नहीं रही। जिसके बाद अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी।
मुजफ्फरपुर के बहुचर्चित एमबीए छात्रा यशी सिंह के अपहरण का मामला पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया है। संजय कुंअर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की पीठ ने यह आदेश देते हुए सीबीआई को चार हफ्ते ह के भीतर जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही आपराधिक जांच विभाग (CID) को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज दो हफ्ते के भीतर सीबीआई को सौंपने का भी आदेश दिया है।
आपको बता दें दिसंबर 2022 में अज्ञात व्यक्तियों ने लड़की का अपहरण कर लिया था। पुलिस इस अपहरण का खुलासा करने में नाकाम रही, जिसके बाद ये मामला सीआईडी को सौंप दिया गया था और अब इसे शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई के हवाले कर दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील अरविंद कुमार ने कहा, क्योंकि इस मामले में बिहार पुलिस और सीआईडी को सफलता नहीं मिली। जिसके बाद परिजनों ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने सीबीआई को मामला लेने का निर्देश दिया।
यशी सिंह अपहरण मामले में मुजफ्फरपुर पुलिस ने सुराग और जानकारी देने वाले को 3 लाख रुपए के इनाम की भी घोषणा की थी। पुलिस मुख्यालय ने 21 नवंबर, 2023 को मामले को आगे की जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया था। छात्रा का पता लगाने के लिए डीआईजी दलजीत सिंह की देखरेख में एसआईटी गठित की गई। लखीसराय जिले की रहने वाली छात्रा का कथित तौर पर 12 दिसंबर, 2022 को मुजफ्फरपुर के भगवानपुर चौक से अपहरण कर लिया गया था। छात्रा के नाना के बयान के आधार पर अज्ञात बदमाशों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया गया।
मुजफ्फरपुर पुलिस ने दावा किया कि लड़की का अपहरण दो महिलाओं समेत तीन लोगों ने किया था। उनकी पहचान सोनू कुमार, अर्चना कुमारी और ज्योति कुमारी के रूप में की गई। इन तीनों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस की निष्क्रियता से निराश होकर, लड़की के पिता संजय कुमार ने मई 2023 में पटना उच्च न्यायालय का रुख किया। उन्होने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा मामले में उचित जांच नहीं की जा रही है। और लड़की की बरामदगी के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पीड़ित लड़की के लापता होने की सूचना उसी दिन पुलिस को दी गई थी। लेकिन पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज नहीं की। घटना के पांचवे दिन मामला दर्ज किया गया। अदालत ने 27 जुलाई को पहली सुनवाई की। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि मामले में जांच की निगरानी की भी आवश्यकता है। जांच एजेंसी को मामले में तेजी से कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है, या पूरी जांच की जानी चाहिए। मामला अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया गया क्योंकि याचिकाकर्ता का राज्य की जांच एजेंसी से विश्वास उठ गया है।
24 नवंबर को हुई हालिया सुनवाई में मुजफ्फरपुर एसएसपी राकेश कुमार ने एक जवाबी हलफनामा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि, हमने दो गैर-एफआईआर नामित आरोपियों, अर्चना कुमारी और ज्योति कुमारी को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए दोनों आरोपियों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिए, जिसमें उन्होंने अपनी पूरी कार्यप्रणाली का खुलासा किया और बताया कि कैसे पीड़ित लड़की को नशा देकर उसका अपहरण किया गया था। उन्होंने खुलासा किया कि जिस सोनू कुमार के साथ उनका रिश्ता था, वह पीड़ित लड़की को चतुर्भुज स्थान, मुजफ्फरपुर ले गया था। और वहां एक तीन मंजिला घर में लड़की को छोड़ दिया था।
हालांकि, अदालत ने कहा कि मामले पर आगे विचार करने से पहले, वो डीआईजी (CID) से बातचीत करना चाहेगी, जो एसआईटी का नेतृत्व कर रहे हैं। मामले को फिर से 1 दिसंबर, 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। जब डीआइजी और एसएसपी वर्चुअल मोड में उपस्थित होंगे ताकि अदालत उन दोनों के साथ एक साथ बातचीत कर सके और वे मामले पर चर्चा करने की स्थिति में हों।
अदालत ने पहले कहा था कि मौजूदा परिस्थितियों में यह अदालत एसएसपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और इस अदालत को यह समझाने के लिए बुलाना उचित समझती है कि क्या वह इस मामले से प्रभावी ढंग से निपटने की स्थिति में होंगे या अदालत को ऐसा करना चाहिए। इस मामले की जांच में पुलिस की विफलता को रिकॉर्ड करें।
इस बीच, जांच अधिकारी-सह-डीएसपी (सीआईडी) रामदुलार प्रसाद ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर सोशल मीडिया प्रोफाइल के विवरण की जांच के लिए तीन संदिग्धों के जब्त मोबाइल को आर्थिक अपराध इकाई को भेजने का आदेश देने की मांग की है। संदिग्धों में से एक अर्चना अलग-अलग नामों से एक दर्जन से अधिक एफबी खातों का इस्तेमाल कर रही है।