कितना फिट बैठेगा बिहार में कृष्णा अल्लावरू पर कांग्रेस का दांव? आसान नहीं पार्टी प्रभारी की राह
बिहार के चुनाव साल में कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरु को राज्य का पार्टी प्रभारी बनाया है। जो राहुल गांधी के करीबियों में एक है। पार्टी नेता मानना है, आलाकमान का ये फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं को ये संदेश देने की कोशिश है कि बिहार को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है।
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ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के संयुक्त सचिव कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है। जिसके जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को ये मैसेज देने की कोशिश की जा रही है, कि बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अल्लावरु न केवल वंचित वर्गों को सशक्त बनाने की कांग्रेस पार्टी की कहानी में फिट बैठते हैं, बल्कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ उनका घनिष्ठ संबंध विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को फिर से मजबूत करने में मदद करेगा। एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी का नेतृत्व करने के लिए युवा और ऊर्जावान नेताओं को नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
हरियाणा, महाराष्ट्र में हालिया चुनावी उलटफेर के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। यही वजह है कि वो बीते 20-25 दिनों के भीतर बिहार के दौरे पर दो बार आ चुके हैं। बीते महीने पटना में आरजेडी चीफ लालू प्रसाद के साथ अहम मुलाकात करके विरोधियों के इस दावे खारिज करने की कोशिश की, कि इंडिया अलायंस कमजोर पड़ गया है। अब, पार्टी ने अल्लावरु को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी है। जिनके बारे में कहा जाता है कि वो राहुल गांधी के करीबी लोगों में से एक हैं। एआईसीसी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर ये बात कही।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अल्लावरू कर्नाटक के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं। पेशे से एक प्रबंधन सलाहकार हैं। अल्लावरू को इंडियन यूथ कांग्रेस (आईवाईसी) के प्रभारी के रूप में नेतृत्व करने के लिए चुना गया। हालांकि वो एआईसीसी में संयुक्त सचिव हैं, लेकिन उनके प्रबंधकीय कौशल के कारण उन्हें बिहार जैसे जटिल राज्य के मुख्य प्रभारी का प्रभार दिया गया है। बीपीसीसी नेता ने कहा, आमतौर पर महासचिव रैंक के अधिकारी को किसी भी बड़े राज्य का प्रभारी बनाया जाता है।
अल्लावरु के अलावा, एआईसीसी के दो सचिव, सुशील कुमार पासी और शाहनवाज आलम भी अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। पासी और आलम रायबरेली और अमेठी लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। बीपीसीसी के एक अन्य नेता ने कहा तीनों नेता पार्टी की नई पीढ़ी हैं, और उनकी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के कार्यालयों तक सीधी पहुंच है। शीर्ष नेताओं से बात करने के लिए उन्हें शायद ही मीडिया के माध्यम का सहारा लेने की जरूरत पड़ती है।
हालांकि, पार्टी के कई दिग्गजों का मानना है कि नए प्रभारी अल्लावरु के लिए संगठन को मजबूत करके पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को पूरा करना और आगामी चुनावों में सहयोगियों के बीच पार्टी की हिस्सेदारी बढ़ाना एक कठिन काम होगा। बीपीसीसी के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा, हम देख रहे हैं कि नए प्रभारी उन मुद्दों को कैसे हल करते हैं, जिन्हें उनसे पहले के प्रभारी करने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजद कम सीटों पर कांग्रेस की लड़ाई को रोकने और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से मुकाबला करने के लिए नए सहयोगियों को शामिल करने पर आमादा है।