डेढ़ घंटे के भाषण में प्रधानमंत्री जातीय गणना पर कुछ नहीं बोले; मोदी सरकार पर बरसे राहुल, संघ को भी घेरा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने डेढ़ घंटे के भाषण में जाति जनगणना का कोई जिक्र नहीं किया, क्योंकि वो दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनकी वास्तविक स्थिति का पता नहीं चलने देना चाहते हैं।
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एक दिन के पटना दौरे पर पहुंचे लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में संबोधन के दौरान मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होने आरएसएस पर भी हमला बोला। कांग्रेस सांसद ने कहा देश में जाति जनगणना को जानबूझकर टालने का काम भाजपा और आरएसएस कर रहा है। राहुल गांधी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने डेढ़ घंटे के भाषण में जाति जनगणना का कोई जिक्र नहीं किया, क्योंकि वो दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनकी वास्तविक स्थिति का पता नहीं चलने देना चाहते हैं।
राहुल ने कहा मैं शासन में दलित, पिछड़ों और आदिवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना की मांग कर रहा हूं, न कि सिर्फ प्रतिनिधित्व के लिए। बीजेपी-आरएसएस पर संविधान को ध्वस्त करने की साजिश का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा संविधान, जो देश के लिए बाबा साहेब और महात्मा गांधी का उपहार है। जिसमें हजारों सालों से पीड़ा झेल रहे वंचित समुदायों को शामिल किया गया। यह केवल संविधान ही है, जो शासन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। लेकिन भाजपा-आरएसएस इसे खत्म करना चाहती थी, क्योंकि वो उन्हें संविधान में उपलब्ध उनके अधिकार नहीं देना चाहते।
राहुल गांधी ने दावा किया कि केंद्र में बजट तैयार करने वाले 90 शीर्ष नौकरशाहों में से केवल तीन दलित थे, भले ही वो आबादी का लगभग 15% हिस्सा हैं। पिछड़ों की हालत सबसे बुरी है, जो आबादी का लगभग 50% हिस्सा हैं। पिछड़े, दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारियों को 100 रुपए में से बमुश्किल 6.10 रुपए पर अधिकार है। राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि पीएम मोदी ने दलितों के हितों की बात तो की, लेकिन उनको कोई पावर नहीं दिया। सांसदों के पास कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, पीएम ने मंत्री तो बना दिया लेकिन उन पर नियंत्रण रखने के लिए आरएसएस के OSD तैनात कर दिए।
राहुल ने कहा हम देश में जातीय जनगणना कराएंगे। यह जनगणना बिहार की तरह नहीं बल्कि तेलंगाना की तरह होगी। जनगणना कराने का मतलब केवल लोगों की संख्या जानना नहीं बल्कि उनको सक्रिय भागीदारी दिलानी है। नौकरशाह, शैक्षिक संस्थाएं, न्यायपालिका और मीडिया में दलित, पिछड़े और आदिवासी की भागीदारी न के बराबर है। देश के 200 शीर्ष उद्योगपतियों में कोई दलित नहीं है। सरकार ने 25 अमीर लोगों के 16 लाख करोड़ माफ कर दिए हैं। भाजपा और आरएसएस सामने से संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर की पूजा करती है लेकिन पीछे से यह इसे समाप्त करने में लगी है। हम दलित व पिछडों की लड़ाई लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।
सारण के गरखा गांव के दलित (पासी) परिवार में जन्मे जगलाल चौधरी ने एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़ दी थी और महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे। उन्हें बिहार के गांधी के रूप में भी जाना जाता है और अपने समुदाय के बीच उनका जबरदस्त सम्मान है। इस कार्यक्रम में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रभारी मोहन प्रकाश भी मौजूद थे।