लंबी अवधि की धान की नर्सरी 25 मई से लगा सकते हैं किसान
-ऊंची,मध्यम व नीची जमीन के लिए धानी की नर्सरी तैयार करने की सलाहत की तैयारी के साथ-साथ नर्सरी लगाने का समय आ रहा है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां जमीन निचली है और जलजमाव 40 से 50 सेंटीमीटर तक...

कुचायकोट,एक संवाददाता। धान की खेती के लिए खेत की तैयारी के साथ-साथ नर्सरी लगाने का समय आ रहा है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां जमीन निचली है और जलजमाव 40 से 50 सेंटीमीटर तक रहता है, वहां के किसानों को 25 मई से 10 जून के बीच धान की नर्सरी लगानी चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय नर्सरी लगाने से उपयुक्त समय पर धान की रोपनी की जा सकेगी। केंद्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सिपाया के परिक्षेत्र पदाधिकारी नवीन कुमार के अनुसार निचली भूमि में 140 से 150 दिनों में तैयार होने वाली लंबी अवधि की किस्मों की बुआई करनी चाहिए।
इस प्रकार की भूमि के लिए राजश्री, राजेंद्र मंसूरी, बीपीटी, एस-204, और सवर्णा-शब्द वन जैसी किस्में श्रेष्ठ मानी गई हैं। इन किस्मों से अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। मध्य भूमि के लिए मध्यम अवधि की किस्में मध्य जमीन यानी जहां 20 से 25 सेंटीमीटर तक जलजमाव होता है, वहां के किसानों को 20 जून से 10 जुलाई के बीच नर्सरी लगानी चाहिए। इन क्षेत्रों के लिए 120 से 130 दिनों में तैयार होने वाली मध्यम अवधि की किस्में उपयुक्त होती हैं। सहभागी, राजेंद्र श्वेता, राजेंद्र सुबासनी, राजेंद्र कस्तूरी, राजेंद्र भगवती और राजेंद्र सुगंध जैसी सुगंधित किस्में अधिक उपज देती हैं और बाज़ार में इनकी मांग भी अधिक रहती है। ऊपरी जमीन के लिए कम अवधि की किस्में ऊपरी या उसरी जमीन, जहां जलजमाव नहीं होता, वहां 110 से 120 दिनों में तैयार होने वाली अग्रिम किस्मों की खेती की जानी चाहिए। ऐसे क्षेत्रों में भी 20 जून से 10 जुलाई के बीच नर्सरी लगानी चाहिए। सहभागी, प्रभात, राजेंद्र और भगवती जैसे प्रभेद ऊपरी जमीन के लिए उपयुक्त हैं। ऐसे करें खेत की तैयारी सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी नवीन कुमार बताते हैं कि नर्सरी लगाने वाले खेत की तैयारी पहले से करनी चाहिए। इसके लिए खेत में जुताई से पहले एक बार सिंचाई कर लेनी चाहिए। इससे नया खरपतवार अंकुरित हो जाएगा और पुराना गलकर नष्ट हो जाएगा। उसके बाद जुताई करते समय खरपतवार की निकासी कर लें। साथ ही मवेशियों की गोबर से बनी सड़ी-गली खाद डालकर नर्सरी तैयार करें। जिससे बीजों का जमाव और पौधों की वृद्धि अच्छी हो सके।
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