एक महीने में 1000 बंद नल जल योजनाओं को किया गया चालू
गया जिले में एक महीने में 1000 नल जल योजनाओं को चालू किया गया। सर्वे में 1200 योजनाएं न चलने की जानकारी मिली। खराब मोटर और पाइप लीकेज जैसी समस्याएं थीं। सहकारिता मंत्री ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए...

एक महीने में 1000 बंद नल जल योजनाओं को किया गया चालू सर्वे में 1200 नल जल योजना संचालित नहीं पायी गई, 1000 को कराया ठीक
वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से सहकारिता मंत्री ने की समीक्षा
- दस हजार चापाकलों में चार हजार पूरी तरह खराब
- समीक्षा
गया, प्रधान संवाददाता
गया जिले में पिछले महीने नल जल योजना का सर्वे कराया गया। इसमें 1200 योजना से पेयजल नहीं मिल रहा था। मोटर जलने, पाइप लीकेज छोटे-छोटे कारण थे। एक महीने में एक हजार योजनाओं को दुरुस्त किया गया। 200 में बड़ी समस्या है। यहां नए सिरे से बोरिंग कराया जा रहा है। सोमवार को डीएम डॉ. त्यागराजन ने सहकारिता मंत्री की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी। मंत्री प्रेम कुमार वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पेयजल समस्या, नल जल योजना, हीट वेब आदि की समीक्षा कर रहे थे। बताया गया के सर्वे में दस हजार चापाकलों में चार हजार पूरी तरह खराब हैं। तीन हजार चापाकलों को ठीक कराया गया। जरुरत के हिसाब से महादलित टोला में चापाकल लगाया जा रहा है। पिछले साल जिस टोले में जल संकट उत्पन्न होने के बाद टैंकर मुहैया कराया गया है उन स्थानों पर नल जल का कनेक्शन या नया चापाकल की व्यवस्था की गई है। इस मौके पर विधायकों और अन्य जन प्रतिनिधियों ने अपने इलाके की समस्या से डीएम को अवगत कराया।
गुरुवार को होगी भौतिक जांच
डीएम ने मंत्री को बताया कि इस गुरुवार नल जल की योजनाओं की भौतिक जांच करायी जाएगी। जांच में जो भी योजना बिना किसी विशेष कारण के बंद मिली तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
जिले के भू जल स्तर में आया है सुधार
जिले का औसत भू जल स्तर 31.3 फीट है। जल जीवन हरियाली से सुधार हुआ है। 2020 से पहले जिले का भू जल स्तर 40 फीट से नीचे चला जाता था। जहां कहीं से भी पेजयल समस्या की बात आती है वहां टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
सिंचाई योजना पर किया जा रहा काम
भू जल स्तर बढ़ाने के लिए मनरेगा के माध्यम से काम किया जा रहा है। आहर, पईन, पोखर को सिंचाई की योजना बड़ी संख्या में लिए जा रहे हैं। लघु सिंचाई से 200 से अधिक बड़ी योजनाओं पर काम किया गया है। इससे भू जल स्तर में सुधार होगा। चेक डैम बनाने, पहाड़ के पानी को संरक्षित रहने पर काम किया जा रहा है।
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