बिहार में लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के दीवाने, 5 साल में 8 गुनी हो गई डिमांड
- पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ने से इन वाहनों के प्रति आकर्षण कम हो रहा है। इनका परिचालन खर्च भी ज्यादा है। वाहनों के रखरखाव पर भी अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। नये इलेक्ट्रिक वाहनों में कई अत्याधुनिक फीटर भी दिये जा रहे हैं।
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बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। बीते पांच वर्षों में इसकी मांग आठ गुनी हो गयी है। यही नहीं इसकी मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020 में राज्य में केवल 12 बजार इलेक्ट्रिक वाहन बिके थे। जबकि 2024 में इसकी संख्या बढ़कर 97 हजार से अधिक हो गयी है। अनुमान है कि इस साल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का ग्राफ एक लाख के आंकड़े को पार कर जाएगा। इस दौरान पेट्रोल और डीजल वाहनों की मांग की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी हुई है। इसकी मांग में मामूली बढ़ोतरी ही हुई है।
सीएनजी वाहनों का क्रेज भी बढ़ा है। लोगों ने ऐसे वाहनों में अपनी रूचि दिखाई है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग सबसे तेजी से बढ़ी है। दरअसल, इनका परिचालन खर्च काफी कम है। ईंधन पर भी खर्च कम है। ये वाहन प्रदूषण भी कम फैलाते हैं। सरकार की ओर से सब्सिडी मिलने के कारण वाहन की कीमत भी अपेक्षाकृत कम ही है। चार्जिंग स्टेशनों को लेकर हो रही परेशानियां लगातार कम हो रही हैं। क्योंकि धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ रही है। कई रेस्टोरेंट भी इसकी सुविधा दे रहे हैं। इससे बीच रास्ते में वाहन को लेकर समस्याएं कम हो रही हैं। पहले लंबी दूरी के लिए ये वाहन उपयुक्त नहीं माने जाते थे। लेकिन, नयी तकनीक और सुविधाएं बढ़ने के साथ-साथ बैट्री की कीमत कम होने से इसकी मांग बढ़ रही है।
उधर, पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ने से इन वाहनों के प्रति आकर्षण कम हो रहा है। इनका परिचालन खर्च भी ज्यादा है। वाहनों के रखरखाव पर भी अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। नये इलेक्ट्रिक वाहनों में कई अत्याधुनिक फीटर भी दिये जा रहे हैं। उन्हें आकर्षक और खुबसूरत बनाया जा रहा है। तकरीबन सारी बड़ी कंपनियां अब अच्छी और बेहतर इलेक्ट्रिक वाहन बना रहे हैं।
इस वर्ष बिक्री की गति तेज
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री की रफ्तार इस साल और तेज है। बीते साल जनवरी में 5022 वाहन बिके थे। इस साल 15 जनवरी को ही वाहनों की बिक्री का ग्राफ इसको पार कर गया। 18 जनवरी तक सूबे में 8377 इलेक्ट्रिक वाहन बिक चुके थे।