सीटों को लेकर NDA में दबाव बढ़ा रहे चिराग, बहनोई बोले- एक जाति की पार्टी नहीं LJP
NDA के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, सभी घटक दलों द्वारा अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र और सीटों को लेकर बयानबाजी तेज होती रहेगी।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान को स्पष्ट करते हुए एक मजबूत सीट शेयरिंग सौदे के लिए संकेत दे दिया है। पार्टी सांसद अरुण भारती को अक्सर चिराग पासवान की आवाज के रूप में देखा जाता है। उन्होंने एक्स पर लिखा, "एलजेपी की एक स्वतंत्र पहचान है। उसे किसी बड़ी पार्टी की छाया में काम करने वाली पार्टी नहीं समझा जाना चाहिए।" राजनीतिक हलकों में इसे चिराग पासवान की ओर से सीट बंटवारे में बेहतर सौदेबाजी के लिए शुरुआती रणनीति माना जा रहा है। एक दिन पहले ही चिराग पासवान ने मीडिया से कहा था कि, “सीट शेयरिंग पर बातचीत उचित समय पर होगी और इसे संयुक्त रूप से घोषित किया जाएगा।”
अरुण भारती ने 'बहुजन की पहचान, भाई चिराग पासवान' की हेडिंग के साथ लिखा, ''16 मई को प्रदेश कार्यकारिणी में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी की व्यापक स्वीकार्यता और लोकप्रियता समाज के हर तबके, विशेष रूप से दलित, बहुजन, युवा और नारी शक्ति के बीच स्पष्ट रूप से स्थापित है। इसके बावजूद कुछ राजनीतिक शक्तियां बार-बार उन्हें केवल एक वर्ग विशेष के नेता के तौर पर सीमित करने का प्रयास करती हैं, जो पूर्णतः अनुचित और अस्वीकार्य है।''
वह आगे लिखते हैं, ''हमारी पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता और नेता बिहार की जनता, विशेष रूप से दलित, बहुजन, युवा और महिलाओं के बीच चिराग पासवान जी की लोकप्रियता, आकर्षण और व्यापक स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए उन्हें बहुजन समाज के एक प्रभावशाली और बृहद नेता के रूप में स्थापित करने के लिए संकल्पबद्ध है। इस दिशा में पार्टी अपना हरसंभव प्रयास और योगदान सुनिश्चित करेगी।''
आपको बता दें कि हाल ही में चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, “NDA में शीर्ष नेतृत्व के लिए कोई रिक्त स्थान नहीं है,” जिससे यह संकेत मिला कि फिलहाल गठबंधन में सामंजस्य बना हुआ है। हालांकि NDA के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, सभी घटक दलों द्वारा अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र और सीटों को लेकर बयानबाजी तेज होती रहेगी।