18 दिन में दो बार पटना आए; बिहार को लेकर इतने एक्टिव क्यों हो गए राहुल गांधी?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बिहार को लेकर काफी गंभीर हो गए हैं। 18 दिनों में दो बार पटना आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य पार्टी लीडर भी कांग्रेस के चुनावी अभियानों को धार देने बिहार आएंगे।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बिहार को लेकर इससे पहले इतने गंभीर कभी नहीं दिखे, जितने अब दिख रहे हैं। बीते 18 दिनों में वो दो बार बिहार के दौरे पर आए। इस दौरान उनका संविधान बचाने का मुद्दा और जातीय जनगणना का मुद्दा अहम रहा। जो बताता है कि कांग्रेस ने बिहार में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। राहुल गांधी की हाल की बिहार यात्राएं इस बात का सिग्नल संकेत दे रही हैं, कि पार्टी इस बार राज्य को बहुत गंभीरता से ले रही है। क्योंकि राहुल गांधी को पहले कभी बिहार में पार्टी के चुनावी अभियान को लेकर इतना सक्रिय नहीं देखा गया था। हालांकि कांग्रेस ने चुनावी रणनीति का नेतृत्व करने के लिए आरजेडी पर भरोसा जताया है। ये बात राजनीतिक विश्लेषक और पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एनके चौधरी ने कही।
एआईसीसी और राहुल गांधी के बिहार पर फोकस करने से उत्साहित बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (BPCC) ने पिछड़े वर्गों, अत्यंत पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों का समर्थन जुटाने के लिए इस महीने के दूसरे पखवाड़े से राज्यव्यापी 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' अभियान शुरू करने का फैसला किया है। बीपीसीसी मीडिया विभाग के प्रमुख राजेश कुमार राठौड़ ने कहा कि हम मुख्य रूप से दो एजेंडे पर काम कर रहे हैं, एक संविधान की रक्षा करना और दूसरा शासन में समाज के वंचित वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करना। राहुल गांधी इस बात पर जोर देते रहे हैं कि केवल प्रतिनिधित्व से ओबीसी, दलितों और अनुसूचित जनजातियों के लिए चीजें बेहतर नहीं होंगी, उनकी भागीदारी ज्यादा जरूरी है।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर झा ने कहा, कि पिछले चुनाव के स्ट्राइक रेट के मुताबिक आरजेडी उन्हें 30-35 सीटों पर सीमित करने की कोशिश कर रही है। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी। उन्होंने कहा कि कई राजद नेताओं ने खुले तौर पर खराब प्रदर्शन के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया है, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि पार्टी को 2020 में कमजोर सीटें आवंटित की गईं थी, और सीटें छीन ली गईं थी। लेकिन अब कांग्रेस मतदाताओं के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के हर संभव प्रयास कर रही है। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा था, कि कांग्रेस को बिहार में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए किसी बैशाखी की जरूरत नहीं है। हमने दूरदराज के इलाकों में अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए कई मास कनेक्ट ड्राइव तैयार की हैं।
एआईसीसी सचिव और बिहार प्रभारी शाहनवाज आलम, जो पहले ही अल्पसंख्यक समुदाय से उपमुख्यमंत्री की मांग कर चुके हैं, उन्होने पार्टी के उन नेताओं का समर्थन जुटाने के लिए उत्तर बिहार के जिलों में अभियान शुरू कर दिया है, जिन्होंने खुद को राजनीतिक मुख्यधारा से अलग कर लिया है या अतीत में पार्टी द्वारा किनारे कर दिए गए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, वो बिहार में पार्टी सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा को लॉन्च करने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। अगर राजद बिहार में कांग्रेस को हाशिये पर धकेलना चाहता है तो पार्टी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
एआईसीसी सचिव चंदन यादव ने बताया कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी और एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं की यात्रा का सिलसिला तेज होगा। राज्य के नेताओं को भी एआईसीसी के साथ मिलकर समान भावना से काम करने की जरूरत है। वहीं कांग्रेस के राजद द्वारा तेजस्वी यादव को महागठबंधन के सीएम चेहरे के तौर में पेश करने का समर्थन करने के सवाल पर चंदन यादव ने कहा कि ऐसा निर्णय उचित समय पर गठबंधन के प्रमुख नेताओं की बैठक में लिया जाएगा।