नौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर गयी उम्र
नौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर गयी उम्रनौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर गयी उम्रनौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर गयी उम्रनौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर...
नौकरी की आस में उम्मीदवार अनुसेवकों की गुजर गयी उम्र उम्र का हवाला देकर परीक्षा से किया गया वंचित 29 साल से उम्मीदवार अनुसेवक कर रहे थे काम फोटो: कलेक्ट्रेट : नालंदा समाहरणालय का भवन। बिहारशरीफ, निज प्रतिनिधि। चतुर्थ श्रेणी पदों पर बहाली की आस में 29 साल से उम्मीदवार अनुसेवक संघर्ष कर रहे हैं। कुछ साल पहले तक 250 से अधिक लोग समाहरणालय की विभिन्न शाखाओं समेत अनुमंडल व प्रखंड कार्यालयों में ठेका पिउन के तहत काम कर रहे थे। 29 साल से प्रशासन की चाकरी करते हुए 250 में से 200 लोगों की नौकरी करने की निर्धारित उम्र सीमा भी गुजर गयी है। शेष 35 लोग अब भी नौकरी की आस बैठे थे उन्हें भी मायूसी ही हाथ लगी है। उम्र का हवाला देकर इन्हें परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया है। उम्मीदवार अनुसेवक अरुण कुमार वर्मा, इम्तियाज अंसारी, फरीद अंसारी, रंजन कुमार चौरसिया, निरंजन कुमार सिन्हा, विनोद कुमार चौधरी, दिलीप पांडेय, अवधेश राम, सुभाष प्रसाद, मुकेश कुमार मिश्रा, मनोज कुमार, नंदकिशोर प्रसाद, सुनील कुमार सिन्हा, शिव कुमार प्रसाद, राजकिशोर प्रसाद, महेंद्र प्रसाद का कहना है कि अब बहाली के लिए परीक्षा ली जानी है तो अधिक उम्र का हवाला देकर उनके आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया है। अधिक उम्र सीमा की गणना के लिए कटऑफ डेट का निर्धारण किया गया है। की गयी है। राजस्व पार्षद के पत्र के अनुसार निर्धारित उम्र सीमा में एक बार पांच वर्षों तक की छूट देते हुए बिहार सेवा संहिता के नियम 54 के तहत मौका दिया जा सकता था। दूसरे जिले में इस नियम के तहत कई साल पहले ही उम्मीदवार अनुसेवकों की बहाली की जा चुकी है। डीएम को आवेदन देकर इन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था देकर समायोजन करने की मांग की है। 2015 में मांगा गया था मार्गदर्शन: उम्मीदवार अनुसेवकों का कहना है कि वर्ष 2015 में पीउन का पैनल निर्माण करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा मार्गदर्शन की मांग की गयी थी। मार्गदर्शन के आलोक में उस समय बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन के अवर सचिव ने पत्र जारी कर रहा था कि विभागीय पत्रांक में पूर्णत स्पष्ट कहा गया था कि जिन पदों के लिए डीएम चयन पदाधिकारी होते हैं तथा जिनका पारिश्रमिक भुगतान बिहार सरकार की राशि से होता है उन्हें रिक्त पदों के विरुद्ध कार्य करने वाले दैनिक श्रमिक को वैध कार्यानुभव माना जाता है।
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