Bihar Flood: पश्चिमी चंपारण में पीडी रिंग बांध टूटने से कई गांव डूबे, दरभंगा में भी तटबंध क्षतिग्रस्त
पश्चिमी चंपारण जिले के बैरिया में सोमवार रात पीडी रिंग बांध टूटने से उसका पानी कई गांवों में घुस गया। दरभंगा जिले के बिरौल में भी तटबंध टूटने से नए इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।
Bihar Floods: उत्तर बिहार में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। इस बीच बांधों के टूटने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम चंपारण और दरभंगा जिले में सोमवार रात बांध टूटने से अफरातफरी मच गई। पश्चिम चंपारण जिले के बैरिया में रात करीब 10:30 बजे रात में घोडहिया के पास पाटजिरवा-डुमरिया रिंग बांध गंडक नदी के तेज बहाव में ध्वस्त हो गया। बांध टूटते ही आसपास के गांव में भगदड़ मच गई। वहीं, दरभंगा जिले के बिरौल में किरतपुर स्थित पश्चिमी कोसी तटबंध टूटने से कमला बलान के पूर्वी भाग के तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ गया। इससे नए इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। कुश्वेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं।
बैरिया में बांध टूटने के बाद लोग अपने सामानों को समेट ऊंचे ऊंचे स्थान पर रखने लगे। ध्वस्त हुए बांध के पास हजारों की संख्या में लोग देर रात को ही पहुंच गए। वे अभियंताओं को खोजने लगे। परंतु कोई भी इंजीनियर घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। इस कारण लोगों ने जमकर हंगामा किया। वहीं, बांध टूटने से नदी का पानी रनहा , बिन टोली, लाल टोला नीतीशनगर ,पखनाहा ,जगीराहा,सिंगही समेत दर्जनों गांव की ओर तेजी से फैलने लगा। रात में ही पकनाहा बाजार के लोगों ने ट्रैक्टर पर सामानों को लादकर सुरक्षित स्थान पर ले जाने में जुट गए। इस बांध के टूटने से चंपारण तटबंध और पुडी रिंग बांध के बीच बसे दर्जनों गांव पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
गंडक नदी का पानी अब तेजी के साथ खेतों में लगे फसलों को डुबोते हुए गांव को भी अपने चपेट में लेने लगा है। पीडी रिंग बांध और चंपारण तटबंध के बीच बसे दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। लोग अपने घरों के सामानों को ऊंचे-ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित रखने में जुटे हुए हैं। जबकि ध्वस्त हुए पीडी रिंग बांध को लेकर लोगों में आक्रोश है।
2007 में बना था नया पीडी रिंग बांध
2003 में आई भीषण बाढ़ के कारण पीडी रिंग बांध तहस-नहस हो गया था। उसी साल पीडी रिंग बांध टूटने के बाद चंपारण तटबंध भी कई जगह टूट गया था। इससे प्रखंड की सभी पंचायतें जलमग्न हो गई थीं। पीडी रिंग बांध क्षतिग्रस्त होने के बाद 2007 में 10 करोड़ से अधिक की लागत से नए रूप में बनाया गया। परंतु उसके बाद इसको सुरक्षित रखने के लिए कभी भी निरोधात्मक कार्य बेहतर ढंग से नहीं किया गया। यही नहीं इसको बचाने के लिए रिवर साइड से भी सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया, जिससे धीरे-धीरे बांध की मजबूती कमजोर होती चली गई। केवल फ्लड फाइटिंग के नाम पर खानापूर्ति की गई है। इसका ही परिणाम है कि आज यह बांध डेढ़ दशक बाद फिर तहस-नहस हो गया। लोगों ने बताया कि अभियंताओं की लापरवाही से आज दर्जनों गांवों पर बाढ़ का साया मंडराने लगा है।
दरभंगा : गोबराही में टूटा कमला बलान का तटबंध
किरतपुर के भुवौल में पश्चिमी कोसी तटबंध टूटने से कमला बलान के पूर्वी भाग के तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ गया था। इस कारण कमला बलान का पूर्वी तटबंध सोमवार की रात दो बजे गोबराही गांव के पास टूट गया। इससे बाढ़ का पानी नए इलाके में प्रवेश कर गया है। तटबंध टूटने से कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। वहीं, कमला बलान नदी में भी पानी का दवाब बढ़ गया है। उधर, कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध टूटने से किरतपुर प्रखण्ड के प्रभावित गांवों में जलस्तर कम होने लगा है। इससे बाढ़ प्रभावित परिवारों को राहत मिली है।