बोले सहरसा: विलुप्त हो रही संस्कृत भाषा के प्रसार की आवश्यकता
सुलिंदाबाद के कहरा और महिषी प्रखंड के लोग संस्कृत विद्यालय की खराब स्थिति को लेकर चिंतित हैं। संस्कृत भाषा, जो कभी क्षेत्र की पहचान थी, अब विलुप्त हो रही है। लोग इसके पुनः प्रसार की आवश्यकता महसूस कर...
सुलिंदाबाद के लोगों के मुद्दे
कहरा और महिषी प्रखंड में रहने वाले लोगों के पास यूं तो कई मुद्दे हैं लेकिन उनको सबसे अधिक चिंता क्षेत्र में स्थित संस्कृत विद्यालय की हालत देखकर होती है। कई भाषाओं की जननी मानी जानेवाली संस्कृत भाषा जो कभी इस क्षेत्र के लोगों की पहचान हुआ करती थी आज वह इस क्षेत्र में ही विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। लोगों का कहना है कि यह सबसे सस्ती, सर्व सुलभ एवं रोजगार देने वाली है। इसके बावजूद भी यह क्षेत्र में नित्य उपेक्षित सी होती जा रही है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद कार्यक्रम के दौरान कहरा एवं महिषी प्रखंड के लोगों ने संस्कृत के प्रसार के लिए समस्याएं गिनायी। वहीं उन्होंने कहा इस भाषा के विकास के लिए सभी को आगे आना होगा।
भाषा का वैज्ञानिक महत्व होने के कारण अन्य देशों में भी होती है पढ़ाई
-- संस्कृत भाषा अध्यात्म के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। संस्कृत के वर्णमाला वैज्ञानिक हैं। संस्कृत में गणित के विभिन्न सिद्धांत एवं सूत्र भी है। ऐसा माना जाता है कि इसके अध्ययन से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। वैदिक मंत्र के उच्चारण का मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। संस्कृत भाषा के महत्व के कारण उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेलजियम, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, इटली सहित अन्य देशों में भी संस्कृत की पढ़ाई की जाती है। वहीं इस आधुनिकता की दौड़ में अपने संस्कृति एवं सभ्यता की जननी एवं संवाहिका रही संस्कृत भाषा से हम नित्य दूर होते जा रहे हैं। शिक्षा मद में राज्य सरकार द्वारा काफी राशि व्यय की जा रही है। इसके बावजूद भी इसके पुनः प्रसार एवं इसके प्रति आकर्षण उत्पन्न करने के बदले अपने हाल पर छोड़ सा दिया गया है। बता दें कि महिषी में एक राजकीय संस्कृत उच्च विद्यालय भी है, जो संस्कृत जिला स्कूल है। 60 के दशक में स्थापित किये गए इस विद्यालय की स्थिति यह है कि इस विद्यालय में एक भवन तक नहीं है, जबकि किसी समय यह एक फुलबाड़ी की तरह सजी रहती थी। वैसे इस विद्यालय की घेराबंदी कराई गई है। कुछ वर्ष पूर्व महागठबंधन की सरकार के समय तत्कालीन शिक्षा मंत्री रहे अशोक चौधरी ने महिषी आने पर इस विद्यालय को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। मॉडल स्कूल तो दूर आज यह स्कूल एक अदद भवन व शिक्षकों के लिए भी लालायित दिख रहा है।
शिकायत
सभी भाषाओं की जननी एवं अपने संस्कृति की संवाहिका संस्कृत के पुनः प्रसार के बदले विभाग द्वारा अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
वैज्ञानिक महत्ता के कारण विदेशों में भी पढ़ाई किए जाने के बावजूद संस्कृत भाषा इस क्षेत्र में नित्य उपेक्षित हो रहा है।
संस्कृत एवं संस्कृति की उपेक्षा से समाज में नित्य आपसी द्वेष एवं कुरीति में वृद्धि हो रही है।
इस मंहगाई के युग में भी संस्कृति, संस्कार की संवाहिका एवं रोजगारोंमुखी संस्कृत शिक्षा सबसे सस्ती होने के कारण इसके अपेक्षाकृत प्रसार नहीं हो रहा है।
सुझाव --
संस्कृत संस्कार की संवाहिका एवं रोजगारोंमुखी शिक्षा है। इसलिए इसके पुनः प्रसार की अत्यधिक आवश्यकता है।
शिक्षा विभाग को चाहिए कि संस्कृत शिक्षा को पुनर्जीवित करने के लिए शिक्षा लेने वाले छात्र - छात्रा को सामान्य शिक्षा के अपेक्षा अत्यधिक प्रोत्साहन राशि दिया जाए।
सभी संस्कृत विद्यालयों में गुरुकुल जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
संस्कृत शिक्षा के बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए।
हमारे भी सुने --
संस्कृत हमारे संस्कृति, सभ्यता एवं संस्कार की संवाहिका है। यह रोजगारोंमुखी शिक्षा भी है। इसलिए इसका पुनः प्रसार किया जाना आवश्यक है।
उमेश कुमार झा
संस्कृत शिक्षा के महत्व के कारण ही विदेशों में भी इसकी पढ़ाई हो रही है। इसलिए यहां नये सिरे से प्रसार किया जाना चाहिए।
प्रो. प्रवीण कुमार झा
बेरोजगारी के इस युग में भी यह सस्ती एवं रोजगारोंमुखी शिक्षा है। इसलिए इस शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना अतिआवश्यक है।
सौरव
सामान्य शिक्षा के लिए चमचमाती विद्यालय भवन है। वहीं संस्कृत विद्यालय भवन जीर्णशीर्ण है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।
बिनोद कुमार झा
संस्कृति एवं संस्कार की जननी संस्कृत शिक्षा के उपेक्षा के कारण ही समाज में कुरीति पनप रहा है। इसके खात्मे के लिए संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।
पं. किशोर कुमार झा
यह शिक्षा मां - पिता, भाई - बहन के साथ बेहतर व्यवहार एवं समाज में अच्छे ढंग से जीने की रीति सिखाता है। इसीलिए इसे उठाने की जरूरत है।
सुभाष चन्द्र झा
सभी संस्कृत विद्यालय के जर्जर भवन के बदले अच्छा भवन बनवाया जाए। अध्ययन करने वाले सभी छात्र - छात्राओं को गुरुकुल जैसी सुविधा मिलनी चाहिए।
सुषमा कुमारी
संस्कृत हमारे संस्कृति की आत्मा है। बसुदेव कुटुम्बकम का संदेश पहली बार संस्कृत भाषा ने ही दिया। यह पूरे सृष्टि को तमसो मा ज्योतिगर्मय का संदेश देती है।
बिजय मिश्र
संस्कृत के महत्ता के कारण ही विश्व के करीब एक दर्जन से ज्यादा देशों के विद्यालय एवं महाविद्यालयों में संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य रूप से होती है, लेकिन दुखद तथ्य यह है कि अपने क्षेत्र में इसका उपयोग मांगलिक कार्य एवं पूजा पाठ तक ही सीमित कर रह गया है।
लाल मिश्र
संस्कृत भाषा हमें अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान - विज्ञान, गणित, खगोल शास्त्र, साहित्य, स्वास्थ्य, ज्योतिष सहित अन्य विषयों की जानकारी देती है। यह भाषा हमारे अतीत एवं वर्तमान की कड़ी है।
जवाहर ठाकुर
संस्कृत भाषा का ही दूसरा नाम देव वाणी है। यह दुनिया की सबसे पुरानी एवं जीवंत भाषा है। नित्य उपेक्षित हो रही इस भाषा की पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।
डा. आनन्द दत्त झा
संस्कृत भाषा बच्चों के संस्कार, उसके परिवार सहित समाज की दशा एवं दिशा भी तय करता है। छात्र जीवन में दिए गए संस्कार उसमें जीवन भर रहता है। बच्चों में अच्छे संस्कार देकर ही अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं।
पियूष रंजन
अच्छा संस्कार ही मानव की सबसे बड़ी सम्पति है। संस्कृत शिक्षा अपने गौरवमय अतीत एवं संस्कृति का ज्ञान देती है।
शत्रुघ्न चौधरी
यह रोजगार पूरक एवं बहुउपयोगी शिक्षा है, लेकिन इसका उपयोग हमलोग सिर्फ पूजा पाठ तक ही समझते है। इसलिए हमलोगों को संस्कृत भाषा के प्रति सोच बदलने की जरूरत है।
डा. नन्द किशोर चौधरी
संस्कृत भाषा से दूर होने के कारण हमारे परिवार एवं समाज में नित्य कटुता बढ़ति ही जा रही है। अच्छे परिवार व समाज के निर्माण के लिए संस्कृत भाषा का प्रसार किया जाना बहुत ही जरूरी है।
राकेश चौधरी
संस्कृत भाषा वैज्ञानिकता से परिपूर्ण सभी भाषाओं की जननी है। यह रोजगारोंमुखी, व्यवसायिक एवं सबसे सस्ती शिक्षा है। गरीब परिवार के छात्र - छात्रा भी गांव में रहकर आसानी से गुणवत्तापूर्ण संस्कृत शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
रणविजय राज
बोले जिम्मेबार
इस संबंध में बात करने पर क्षेत्रीय विधायक व पूर्व मंत्री डा. आलोक रंजन ने बताया कि लोगों द्वारा संस्कृत के उत्थान के लिए अपने स्तर से हरसम्भव प्रयास करूंगा। उन्होंने माना कि संस्कृत सबसे सस्ती एवं रोजगारोन्मुखी भाषा के साथ संस्कार देने वाली भाषा है। इसके विकास एवं उत्थान के लिए विधान सभा में आवाज उठाकर इस भाषा को न्याय दिलाकर पुनर्स्थापित करने के लिए सतत काम करता रहूंगा।
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