खतियान के नाम पर दावेदारी की हवाबाजी नहीं चलेगी
बेतिया में विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान रैयत अपने पूर्वजों के नाम पर खतियान के आधार पर भूमि का दावा कर रहे हैं। प्रशासन ने ऐसे दावों की जांच शुरू की है, क्योंकि कई भूमि पहले से सरकार द्वारा अधिग्रहित...
बेतिया। बिहार विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान अपने पूर्वजों के नाम पर मौजूद खतियान के आधार पर दावा करनेवाले रैयतो पर भी सर्वेक्षणकर्मियों की नजर है। इसपर प्रशासन की भी नजर है। विशेष भूमि सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारी ने बताया कि कई मामलों में देखा जा रहा है कि सर्वे के दौरान कई लोग अपने पूर्वजों के नाम पर मौजूद खतियान के आधार पर जमीन का अपना होने का दावा प्रस्तुत कर रहे है। जबकि ऐसी जमीन पूर्वजो के कार्यकाल में हीं विभिन्न विकास योजनाओं में सरकार ने अधिग्रहण करते हुए भू-अर्जित किया है। या फिर पूर्वजों के किसी हिस्सेदार ने केवाला कर किसी अन्य के हाथों बिक्री कर दिया है। ऐसी भूमि को खोज निकालने के लिए सरकारी अधिकारी अब भू -अर्जन के अभिलेखो को खंगालने में लगे है। एक ओर रैयत अपने दस्तावेज, या खतियान की खोज में अभिलेखागार में जुटे हुए है तो सरकारी अधिकारी आजादी के बाद रैयतो से अर्जित की गयी भूमि के अभिलेखों को भी अद्यतन करने में जुटी है। प.चंपारण जिला गठन के पहले के भू -अर्जन के सभी अभिलेख पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय में रखे गये है। हालाकि रैयतो के द्वारा रजिस्ट्रीकृत दस्तावेज करीब 1920 के सभी दस्तावेज तो निबंधन विभाग ने बेतिया मंगवा लिया है। भू अर्जन के सभी अभिलेख अभी भी पूर्वी चंपारण में रखे हुए है। नतीजतन स्वंय विभागीय अधिकारियों को यह मालूम नही है कि किस खेसरा खाता की कितने रकबा की भूमि अर्जित की गयी है और किस रैयत को कितना मुआवजा दिया गया है।
नहरों की खुदाई के दौरान हुए थे भूमि अर्जित:
1919 के सर्वे के बाद जिले में कई इलाकों में नई सड़कों का निर्माण किया गया। यहां तक कि गंडक बराज के निर्माण के बाद जिले के विभिन्न गांवो में नहरों की खुदाई की गयी। नहर खुदाई में सरकारी भूमि के साथ ही निजी रैयतो की भूमि भी सरकार ने अर्जित की। लेकिन इन अर्जित भूमि का कोई भी रैयत अपने प्रपत्र दो के ब्योरा में देने को तैयार नही है कि यह भूमि सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी है। जानकारी यह भी मिल रही है कि जिस जमीन को पूर्व में अधिग्रहित किया गया है उक्त भूमि का भी कतिपय रैयतो के वंशजो ने अपने नाम पर जमाबंदी कायम करवा लिया है। जिला प्रशासन इन अभिलेखों को एकत्र करने में जुटा हुआ है। प्रपत्र दो में अपनी जमीन होने का दावा करनेवालो पर भी सरकार की नजर है।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यदि सड़क या नहर के लिए अर्जित की गयी जमीन को कोई रैयत मुआवजा प्राप्त होने के बावजूद अपना बताकर प्रपत्र दो में ब्योरा प्रस्तुत करता है।
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