Hindi Newsधर्म न्यूज़Devutthan Ekadashi 2023 song: on Devutthani Ekadashi song sing utho dev jago dev ungliyan chatkao dev - Astrology in Hindi

Devuthhan Ekadashi 2023: आज है देवोत्थान एकादशी, गाया जाता है यह गीत-उठो देव, बैठो देव,पाटकली चटकाओ देव

utho dev jago dev:आज देवताओं को अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार केले और गन्ने का मंडप सजाकर नीचे चावल के आटे का चौक बनाया जाता है। इसके बाद उन्हें सिंघाड़े, बैंगन, मूली, आलू, शकरकंदी का भोग लगाया ज

Anuradha Pandey लाइव हिंदुस्तान टीम, नई दिल्लीThu, 23 Nov 2023 09:51 AM
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आज देवोत्थान एकादशी के दिन देवताओं को जगाया जाता है। चातुर्मास का समापन होकर शुभ मुहूर्त आरंभ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी के दिन से सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और समस्त देवता चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और अपना-अपना कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं। देवताओं के जागने के बाद ही सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। इस मौके पर देवताओं को अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार केले और गन्ने का मंडप सजाकर नीचे चावल के आटे का चौक बनाया जाता है। इसके बाद उन्हें सिंघाड़े, बैंगन, मूली, आलू, शकरकंदी का भोग लगाया जाता है। इसके बाद दीपक जलाकर थाली बजाकर देवों को जगाया जाता है। इस दौरान यह पारंपरिक गाना , सभी अपने रीतिरिवाजों के अनुसार गाते हैं।-

उठो देव, बैठो देव,पाटकली चटकाओ देव।
सबके काज संवारों देव
आषाढ़ में सोए देव,कार्तिक में जागो देव। 
कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी।

हाथ पैर फटकारो देव,अंगुलिया चटकाओ देव।
क्वारों के व्याह कराओ देव,व्याहों के गौने कराओ देव।
तुम पर फूल चढ़ाए देव,घी का दिया जलाएं देव।

आओ देव पधारो देव,तुमको हम मनाएं देव।

जागो इस दुनिया के देव,गन्ने का भोग लगाओ देव।जागो उस दुनियां के देव,सिंघाड़े का भोग लगाओ देव।

जागो इस दुनिया के देव,बैंगन का भोग लगाओ देव।जागो इस दुनिया के देव,मूली का भोग लगाओ देव।

जागो इस दुनिया के देव,पूवे का भोग लगाओ देव।जागो इस दुनिया के देव,छप्पन भोग लगाओ देव।

2.उठो देव, बैठो देव
पाटकली चटकाओ देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी,, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा  
गोवल जाके, दाब कटा  
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले कोले, धरे चपेटा
ओले कोले, धरे अनार
ओले कोले, धरे मंजीरा
उठो देव, बैठो देव

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