Hindi Newsधर्म न्यूज़Shani Pradosh Vrat December 2024 mantra to chant for lord shiv blessing

प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के इन मंत्रों का करें जाप,कष्टों से मुक्ति मिलने की है मान्यता

  • Shani Pradosh Vrat December 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 दिसंबर 2024 को आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा-अर्चना के साथ शिवजी को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 05:26 PM
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Shani Pradosh Vrat December 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन शिवजी की पूजा-आराधना के लिए उत्तम दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा करने से जीवन के समस्त दुख-कष्टों से छुटकारा मिलता है और पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। दृक पंचांग के अनुसार, 28 दिसंबर 2024 दिन शनिवार को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ शनिदेव की पूजा की जाती है। इसके अलावा प्रदोष व्रत के दिन दुख-कष्टों से छुटकारा पाने के लिए विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के मंत्र...

प्रदोष व्रत पर इन मंत्रों का करें जाप : प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए कुछ मंत्रों का 108 बार जाप कर सकते हैं।

1.ऊँ नमः शिवाय

2. ऊँ त्रिनेत्राय नमः

3.ऊँ ऐं नमः शिवाय

4.ऊँ ह्रीं नमः शिवाय

5.ऊँ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं

6.ऊँ शिवाय नमः

7.ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः

8.ऊँ आशुतोषाय नमः

9. ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे,महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।

10.ऊँ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः।

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शिव स्तुति मंत्र : भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव स्तुति मंत्र का पाठ करना भी कल्याणकारी माना गया है। मान्यता है कि इससे साधक को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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