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प्रदोष व्रत के दिन शिवजी को कैसे प्रसन्न करें? जानिए शुभ मुहूर्त, मंत्र, सामग्री लिस्ट और पूजाविधि

  • Shani Pradosh Vrat December 2024 : 28 दिसंबर को साल 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के साथ शनिदेव की भी पूजा-अर्चना की जाती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 04:23 PM
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Shani Pradosh Vrat December 2024 : हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह विशेष दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवजी की पूजा करने से जातक को जीवन के सभी दुख-कष्टों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है। दृक पंचांग के अनुसार, दिसंबर माह की आखिरी त्रयोदशी 28 दिसंबर 2024 दिन शनिवार को पड़ रही है। इसलिए इसे शनि त्रयोदशी व्रत कहा जाएगा। इस दिन शिवजी के साथ कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा करने का भी विधान है। कहा जाता है कि इससे शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा समेत सभी अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजाविधि और सामग्री लिस्ट…

प्रदोष व्रत 2024 : दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 28 दिसंबर को सुबह 02:26 ए एम पर होगा और अगले दिन 29 दिसंबर 2024 को 03:32 ए एम पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 28 दिसंबर 2024 दिन शनिवार को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन 05:33 पी एम से 08:17 पी एम तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

पूजा सामग्री : फल, फूल, पंचमेवा, बेर, भांग, धतूरा, बिल्वपत्र, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, आक के फूल, धूप,दीप, घी, सफेद वस्त्र, जल से भरा कलश, आरती की थाली, हवन सामग्री, आम की लकड़ी समेत पूजा की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।

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शनि प्रदोष व्रत : पूजाविधि

शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो लें।

इसके बाद सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। मंदिर साफ करें।

शिव-गौरी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें।

इसके बाद दिनभर शिव मंत्रों का जाप करें।

संभव हो, तो फलाहार व्रत भी रखें।

शाम के समय स्नान के बाद प्रदोष काल में पूजा आरंभ करें।

शिवलिंग पर जल अर्पित करें और फल,फूल, धतूरा समेत सभी पूजा सामग्री चढ़ाएं।

शनि प्रदोष व्रत कथा की पाठ करें।

शिवजी की आरती उतारें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें।

इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

शनिदेव की विधिविधान से पूजा करें और उनकी आरती उतारें।

मंत्र

ऊँ नमः शिवाय

ऊँ ह्री नमः शिवाय

ऊँ ऐं नमः शिवाय

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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