Hindi Newsधर्म न्यूज़Pitru Paksha 5th Day: On fifth day whose Shradha should be performed Know vidhi Shradh 2024

पितृपक्ष के पांचवे दिन किसका श्राद्ध करें? जानें कौन-कौन कर सकता है श्राद्ध

  • Pitru Paksha 5th Day : कहा जाता है कि पितृ खुश रहें तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध को शुभ मुहूर्त व सही तिथि में करना जरूरी माना गया है। आइए जानते हैं पितृपक्ष पञ्चमी श्राद्ध को किसका श्राद्ध करना चाहिए।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 Sep 2024 04:30 PM
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Pitru Paksha 5th Day : कल रविवार के दिन पितृ पक्ष का पांचवा दिन पड़ रहा है। पांचवे दिन को पञ्चमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितृ शांति के लिए कई कार्य किए जाते हैं। कहा जाता है की पितृ खुश रहें तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध को शुभ मुहूर्त व सही तिथि में करना जरूरी माना गया है। इसलिए आइए जानते हैं पितृ पक्ष के पांचवे दिन या पञ्चमी श्राद्ध को किसका श्राद्ध करना चाहिए, श्राद्ध की विधि व परिवार के किन लोगों द्वारा श्राद्ध किया जा सकता है-

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पितृपक्ष के पांचवे दिन किसका श्राद्ध करें?

22 सितंबर, रविवार के दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध करें, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की पञ्चमी तिथि को हुआ हो। दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की पञ्चमी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पञ्चमी श्राद्ध को कुंवारा पञ्चमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन मृतकों का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु उनके विवाह होने के पूर्व हो गयी हो। पञ्चमी श्राद्ध को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण, अपराह्न मुहूर्त आदि शुभ मुहूर्त माने गये हैं। पिता की तिथि ज्ञात न होने पर पितृ विसर्जन को श्राद्ध करना चाहिए।

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कैसे करें पञ्चमी श्राद्ध कर्म: इस दिन घर के मुख्य द्वार पर फूल आदि डालकर पितरों का आह्वान करें। पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का ग्रास निकालें। पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिल से तीन बार तर्पण करें। किसी ब्राह्मण को वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान दें। जिन्हें ब्राह्मण नहीं मिल सके, वे भोजन आदि मंदिर में बांट सकते हैं।

पञ्चमी श्राद्ध कौन कर सकता है: ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किए जा सकते हैं और इन्हें करने का अधिकार पुत्र, पौत्र, भतीजे और भांजे को है। इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं रहेगा। इसलिए सभी सोलह दिन तर्पण-अर्पण किया जा सकता है। उन्होंने बताया इन दिनों में पितृ अपने परिजनों के घर आते हैं। पूर्वजों की रुचि के भोजन, फल, मिष्ठान आदि का दान कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। उनका आशीर्वाद मिलने पर पितृ दोष तक से मुक्ति संभव है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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