पितृ पक्ष के पांचवे दिन श्राद्ध कर्म के लिए 3 मुहूर्त, जानें कैसे करें श्राद्ध
- Pitru Paksha 5th Day : 22 सितंबर, के दिन पितृ पक्ष का पांचवा दिन या पञ्चमी श्राद्ध तिथि रहेगी। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के पांचवे दिन किन-किन शुभ मुहूर्त में पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।
Shradh 2024 muhurat, Pitru Paksha 5th Day : कल रविवार के दिन पितृ पक्ष का पांचवा दिन रहेगा। हर साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। पितृ पक्ष के दिन पितरों के श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म को समर्पित हैं। मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इन दिनों पितरों से संबंधित कार्य किए जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान शुभ मुहूर्त व सही विधि से श्राद्ध करने पर पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के पांचवे दिन श्राद्ध करने से शुभ मुहूर्त व विधि-
पितृपक्ष का पांचवा दिन कल: 22 सितंबर, के दिन पितृ पक्ष का पांचवा दिन या पञ्चमी तिथि श्राद्ध रहेगा। आइए पंचांग अनुसार जाने हैं पञ्चमी श्राद्ध के शुभ मुहूर्त-
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 21, 2024 को 18:13 बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त - सितम्बर 22, 2024 को 15:43 बजे
कुतुप मूहूर्त - 11:49 से 12:38
- अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त - 12:38 से 13:26
- अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न काल - 13:26 से 15:52
- अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स
श्राद्ध करने की विधि
सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं।
स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
पितृस्थान को गाय के गोबर से लीप कर और गंगाजल से पवित्र करें।
महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें।
श्राद्ध भोज के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण दे दें।
ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं।
पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करने का संकल्प लें।
जल में काला तिल मिलाकर पितरों को तर्पण दें।
पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, घी, खीर और दही अर्पित करें।
चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
ब्राह्मण को पूरे सम्मान के साथ भोजन कराएं।
अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें।
इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें।
श्राद्ध में पितरों के अलावा कौआ, गाय, कुत्ते और चींटी को भोजन खिलाने का प्रावधान है।
जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन द्वार पर दोनों और शीतल जल छिड़कर पितरों के आगमन की तैयारी करनी चाहिए। किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करा कर वस्त्र आदि देकर विदा करना चाहिए। पितरों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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