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Chand Kab Niklega : दिल्ली-एनसीआर में कब दिखाई देगा सकट चौथ का चांद? जानें चांद निकलने का समय

  • Moon Rise Time Today Aaj Chand Kab Niklega : करवा चौथ के चांद की तरह ही व्रती महिलाओं को सकट चौथ का इंतजार रहता है। आइए जानते हैं आज दिल्ली- एनसीआर में कब होंगे चांद के दर्शन...

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 17 Jan 2025 09:17 PM
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Chand Kab Niklega, Moon Rise Time Today In Delhi NCR- संकटों को हरने वाला सकट चौथ का व्रत आज है। घर-घर में भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ रूप में मनाया जाता है। इस दिन माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। शाम को चन्द्रोदय के दर्शन कर पूजा में दूर्वा, शकरकंद, गुड़ और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। दूसरे दिन सुबह सकट माता पर चढ़ाए गए पकवानों को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। यह व्रत संतान के जीवन में आने वाली हर संकट और बाधा से उन्हें बचाता है। इस दिन संकट हरण गणेश जी का पूरे विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। करवा चौथ के चांद की तरह ही व्रती महिलाओं को सकट चौथ का इंतजार रहता है। आइए जानते हैं आज दिल्ली- एनसीआर में कब होंगे चांद के दर्शन...

नई दिल्ली- 09:09 पी एम

नोएडा- 09:08 पी एम

गाजियाबाद- 09:08 पी एम

फरीदाबाद- 09:08 पी एम

सकट चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?

इसे पीछे ये कहानी है कि मां पार्वती एकबार स्नान करने गईं। स्नानघर के बाहर उन्होंने अपने पुत्र गणेश जी को खड़ा कर दिया और उन्हें रखवाली का आदेश देते हुए कहा कि जब तक मैं स्नान कर खुद बाहर न आऊं किसी को भीतर आने की इजाजत मत देना।

गणेश जी अपनी मां की बात मानते हुए बाहर पहरा देने लगे। उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए लेकिन गणेश भगवान ने उन्हें दरवाजे पर ही कुछ देर रुकने के लिए कहा। भगवान शिव ने इस बात से बेहद आहत और अपमानित महसूस किया। गुस्से में उन्होंने गणेश भगवान पर त्रिशूल का वार किया। जिससे उनकी गर्दन दूर जा गिरी।

स्नानघर के बाहर शोरगुल सुनकर जब माता पार्वती बाहर आईं तो देखा कि गणेश जी की गर्दन कटी हुई है। ये देखकर वो रोने लगीं और उन्होंने शिवजी से कहा कि गणेश जी के प्राण फिर से वापस कर दें।

इसपर शिवजी ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को लगा दिया । इस तरह से गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला । तभी से गणेश की हाथी की तरह सूंड होने लगी. तभी से महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगीं।

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