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Makar Sankranti : इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को, दान पुण्य का है विशेष महत्व

  • हिंदू धर्म में सभी पर्व त्येहार का महत्व है। लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। क्योंकि साल का यह पहला पर्व माना जाता है। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 11 Jan 2025 09:55 AM
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Makar Sankranti : हिंदू धर्म में सभी पर्व त्येहार का महत्व है। लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। क्योंकि साल का यह पहला पर्व माना जाता है। इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जिसका अर्थ है सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है। साथ ही मकर संक्रांति से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। सूर्य की किसी राशि विशेष राशि में भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है। सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करते हैं। साल में 12 संक्रांतियां होती हैं और दो संक्रांतियां महत्वपूर्ण होती हैं। मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति। सूर्य जब मकर राशि में जाता है, तब मकर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति से वातावरण में बदलाव शुरू हो जाता है। क्योंकि इस संक्रांति से अग्नि तत्व की शुरुआत होती है। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है। इस दिन किए गए जाप और दान का फल अनंत गुना होता है। पं कुंतलेश पाण्डेय बताते हैं कि उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह आठ बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह नौ बजकर तीन मिनट से लेकर शाम पांच बजकर 46 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल का समय सुबह नौ बजकर तीन मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

मकर संक्रांति पर दान करना होता है शुभ: मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है। पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में ये नई फसल काटने का समय होता है। इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।

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