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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन करें ये शुभ काम

  • Makar Sankranti 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति के अवसर पर पूजा, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य पुण्य काल में सम्पन्न होंगे।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 7 Jan 2025 04:15 PM
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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति को खिचड़ी और उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति के अवसर पर पूजा, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य पुण्य काल में सम्पन्न होंगे। 14 जनवरी को सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक पुण्यकाल रहेगा। जबकि इस दिन सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक महा पुण्यकाल रहेगा। जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है, जो ज्योतिष गणना के अनुसार महत्वपूर्ण है।

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मकर संक्रांति के दिन करें ये शुभ काम: इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से साधक के भाग्य में सुधार होता है। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लोग गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके बाद, सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है और गुड़, तिल, खिचड़ी, गर्म कपड़े आदि का दान किया जाता है। इस प्रकार के कार्य करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी आयोजित होगा, जो महाकुंभ मेले के दूसरे दिन के रूप में मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और दान भी करते हैं। इस दिन लोग पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए दान का कार्य करते हैं।

कब करें स्नान और दान: मकर संक्रांति का स्नान और दान 14 जनवरी को पुण्य काल में सम्पूर्ण दिन भर किया जा सकेगा। यूं तो सम्पूर्ण दिन स्नान और दान पुण्यप्रद है लेकिन महा पुण्यकाल के दौरान सुबह 09:03 बजे से लेकर 10:48 बजे तक स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समय विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसलिए श्रद्धालु इसका ध्यान रखते हुए स्नान और दान कर सकते हैं। इस बार, मकर संक्रांति को लेकर कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। कई वर्षों से मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनायी जा रही थी। अनेक लोग यही मानते हैं कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही हमेशा से मनायी जाती है। इसलिए यही तिथि शुभकारी है।

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मकर संक्रांति का खास महत्व: धार्मिक परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की ओर, अर्थात मकर रेखा से उत्तर दिशा में प्रस्थान करते हैं। इस कारण इस उत्सव को उत्तरायणी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। अनेक लोग इस अवसर पर भगवान सूर्य के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी आराधना करते हैं। पूजा-अर्चना के अतिरिक्त, मकर संक्रांति के पावन दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत फलदायी माना जाता है। लोग इस दिन पर पवित्र स्नान करने को विभिन्न धर्मस्थली जाते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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