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Karwa Chauth ka Chand: करवा चौथ पर चांद कितने बजे निकलेगा? जानें पूजा-विधि व मुहूर्त

  • Karwa Chauth 2024 : करवा चौथ के दिन व्रत में चंद्रमा की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। सुहाग की दीर्घायु की कामना हेतु इस दिन विधिवत माता पार्वती, गणेश जी एवं करवा माता की पूजा की जाती है। जानें मुहूर्त व विधि-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 20 Oct 2024 07:17 PM
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Karwa Chauth 2024: हिन्दू धर्म में कार्तिक माह में करवा चौथ मनाया जाता है। इस बार यह व्रत 20 अक्टूबर को पड़ रहा है। करवा चौथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। परंपरागत रूप से महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत में चंद्रमा की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। सुहाग की दीर्घायु की कामना हेतु इस दिन विधिवत मां पार्वती, गणेश जी एवं करवा माता की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं करवा चौथ के दिन चांद कब निकलेगा, पूजा का मुहूर्त व विधि-

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करवा चौथ पर चांद कितने बजे निकलेगा?

आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक के अनुसार, रविवार की देर शाम 7.22 बजे चांद उदय होंगे। वहीं, शहर अनुसार, चांद निकलने के टाइम में कुछ देर का फर्क हो सकता है।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त: करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

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करवा चौथ पूजा-विधि

1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें

2. मंदिर और घर की साफ-सफाई करें

3. सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूजा करें

4. करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लें

5. संध्या के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ करें

6. फिर चंद्रमा की पूजा करें

7. चंद्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दें

8. पति को छलनी से देखकर आरती उतारें

9. फिर पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत पारण किया जाता है।

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आचार्य नवीन चंद्र मिश्र वैदिक के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चौथ व्रत को संकष्टी गणेश चौथ व्रत भी कहते हैं। इस व्रत के प्रधान देवता श्री गणेश हैं। व्रत में पूजन के बाद उड़द और घी से होम करने का विधान है। गणपति को लड्डु का भोग लगाना चाहिए। गणपति पूजन में तुलसी का प्रयोग उचित नहीं है। जबकि दुभ्भी (घास) और बेलपत्र गणेश पर जरूर चढ़ाना चाहिए। आचार्य ने कहा कि लोकाचार के अंतर्गत चांद को चलनी से देखने और पति के हाथ से जल पीने की परंपरा है। श्री गणेश मंत्र का जाप और गणपति अथर्वशीर्ष पाठ कर गणेश से दसों दिशाओं से रक्षा करने की कामना करनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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