कहीं एक ही EPIC पर दो नाम, तो कहीं वोटर लिस्ट से नाम गायब; बंगाल में मचे बवाल पर EC ने क्या कहा
मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग के आशीर्वाद से भाजपा किस तरह मतदाता सूची में हेराफेरी कर रही है, यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है।

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले वहां दिल्ली और महाराष्ट्र की ही तरह मतदाता सूची पर बवाल हो रहा है। राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। इस बीच, चुनाव आयोग ने सभी तरह की विसंगतियों को दूर करने का भरोसा दिलाया है। आयोग ने एक ही EPIC पर दो मतदाताओं के नाम पर भी सफाई दी है। दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा ने टीएमसी पर ही फर्जी मतदाताओं के नाम जुड़वाने के आरोप लगाए हैं।
इस बीच, कोलकाता के उल्टाडांगा इलाके के रहने वाले 19 वर्षीय आकाश साहा, दक्षिण 24 परगना जिले के बरुईपुर के रहने वाले 61 वर्षीय प्रदीप सरकार और उत्तर बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले के गंगारामपुर में रहने वाले 54 वर्षीय तस्लीम मियां जैसे कई नाम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में गरमागरम राजनीतिक विवाद का विषय बन गए हैं। दरअसल, 2024 में 18 वर्ष के हुए आकाश साहा ने पिछले साल लोकसभा चुनावों में पहली बार वोट डाला था लेकिन दो दिन पहले उन्हें पता चला कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। साहा ने रविवार को TMC नेताओं द्वारा मतदाता सूचीं में अनियमितताओं की कई शिकायतों की समीक्षा के लिए आयोजित एक शिविर में अपना दर्द बयां किया।
इसी तरह 61 वर्षीय प्रदीप सरकार ने कहा, "पिछले 40 सालों में ऐसा कोई चुनाव नहीं रहा, जिसमें मैंने अपना वोट न डाला हो। लेकिन फरवरी के मध्य में स्थानीय चंपाहाटी ग्राम पंचायत को पता चला कि बंगाल के दूसरे इलाकों से सैकड़ों लोगों को यहां मतदाता के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, तो मैंने पाया कि मेरा नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। मैंने शिकायत दर्ज कराई है।"
एक ही EPIC पर दो नाम
दूसरी तरफ, गंगारामपुर के तस्लीम मियां, जो राज्य सरकार के कर्मचारी हैं और फिलहाल मालदा जिले में तैनात हैं, एक अलग समस्या का सामना कर रहे हैं। उनकी ही तरह उनके गांव गंगारामपुर के सैकड़ों मतदाताओं ने पाया कि उनके मतदाता पहचान पत्र नंबर (EPIC) पर गुजरात और हरियाणा के निवासियों के नाम दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि मेरा नंबर अहमदाबाद के जिग्नेश मकवाना नामक व्यक्ति को आवंटित किया गया है। उन्होंने भी टीएमसी के शिविर में पहुंचकर इसकी शिकायत की और कहा कि दो मतदाताओं का EPIC नंबर एक कैसे हो सकता है? इस तरह की शिकायतों के बाद सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा आमने-सामने आ गई है। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर 2026 में फर्जी मतदाताओं का इस्तेमाल करने के लिए मतदाता सूची में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है।
ममता बनर्जी के भाजपा पर संगीन आरोप
गुरुवार को कोलकाता में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा, "चुनाव आयोग के आशीर्वाद से भाजपा किस तरह मतदाता सूची में हेराफेरी कर रही है, यह बिल्कुल स्पष्ट है। मेरे पास लंबी सूचियाँ हैं, जिनमें गुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के लोगों को स्थानीय निवासियों को आवंटित किए गए समान पहचान संख्या वाले मतदाता के रूप में सूचीबद्ध दिखाया गया है। इन बाहरी लोगों को मतदान के दौरान ट्रेनों में लाया जाएगा। इसी तरह उन्होंने (भाजपा) महाराष्ट्र और दिल्ली में जीत हासिल की।"
बता दें कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के फर्जी मतदाताओं को शामिल करके दिल्ली की मतदाता सूची में हेराफेरी की है। शुक्रवार को बनर्जी पर पलटवार करते हुए बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "उन्होंने निराधार आरोप लगाए हैं। हमने चुनाव आयोग को लिखा है कि बंगाल में 73,00,000 से ज़्यादा फर्जी मतदाता हैं। टीएमसी सरकार ने बांग्लादेश और म्यांमार से हज़ारों घुसपैठियों को मतदाता के रूप में नामांकित करने के लिए ज़िलों में अपने अधिकारियों का इस्तेमाल किया है।"
चुनाव आयोग की EPIC विवाद पर सफाई
इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने रविवार को प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने एक बयान में कहा है, "चुनाव आयोग ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लिया है, जिसमें दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं के EPIC नंबर एक जैसे होने का मुद्दा उठाया गया है। इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन एक ही EPIC नंबर वाले मतदाताओं के लिए जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण अलग-अलग हैं।"
आयोग के बयान में कहा गया है, "ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज है, कहीं और नहीं।" आयोग ने आगे कहा, "विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान ईपीआईसी नंबर/श्रृंखला का आवंटन सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मतदाता सूची डेटाबेस को ईआरओएनईटी प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित करने से पहले एक विकेन्द्रीकृत और मैनुअल तंत्र का पालन करने के कारण हुआ। इसके परिणामस्वरूप कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के सीईओ कार्यालयों ने एक ही ईपीआईसी अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का उपयोग किया और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं को डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर आवंटित किए जाने की संभावना बनी रही।"
अद्वितीय EPIC नंबर होगा जारी
हालांकि, आयोग ने ये भी कहा है कि किसी भी आशंका को दूर करने के लिए पंजीकृत मतदाताओं को अद्वितीय EPIC नंबर आवंटित करने को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया है। डुप्लिकेट EPIC नंबर के किसी भी मामले को एक अद्वितीय EPIC नंबर आवंटित करके ठीक किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सहायता के लिए ERONET 2.0 प्लेटफ़ॉर्म को अपडेट किया जाएगा। इसमें कहा गया है।
TMC ने चुनाव आयोग के इस बयान को डैमेज कंट्रोल की कोशिश करार दिया है। TMC प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, "ममता बनर्जी द्वारा बड़े पैमाने पर हेरफेर को उजागर करने के बाद चुनाव आयोग क्षति नियंत्रण मोड में जाने के लिए मजबूर हो गया है।" बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 75 सीटें जीतीं थीं, जबकि 294 सदस्यीय विधानसभा में टीएमसी ने 215 सीटें बरकरार रखीं थीं।
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