Hindi Newsपश्चिम बंगाल न्यूज़Kolakata RG Kar Hospital Rape and Murder Case Ex Principal Sandip Ghosh and Police Officer Abhijit Mondal got Bail

आरजी कर हॉस्पिटल केस में पूर्व प्राचार्य और पूर्व पुलिस अफसर को बेल, चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई CBI

मामले में 90 दिन बीत जाने के बाद भी सीबीआई चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। इस कारण दोनों को जमानत दी गई है। पुसियालदह अदालत में केवल बलात्कार-हत्या के आरोपों के मामले चल रहे हैं, जिसमें उन्हें जमानत मिली है।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, कोलकाताFri, 13 Dec 2024 05:20 PM
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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और पूर्व पुलिस अधिकारी अभिजीत मंडल को सियालदह की अदालत ने जमानत दे दी है। मामले में 90 दिन बीत जाने के बाद भी सीबीआई चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। इस कारण दोनों को जमानत दी गई है।

सियालदह अदालत में केवल बलात्कार-हत्या के आरोपों के मामले चल रहे हैं, जिसमें उन्हें जमानत मिली है। हालांकि, दूसरे मामले यानी आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार के मामले में संदीप घोष को जमानत नहीं मिल सकी है। आज सुनवाई के समय सीबीआई ने अदालत को बताया कि आज पूरक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकते। इसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी।

सूत्रों के मुताबिक, संदीप घोष और अभिजीत मंडल को 2000 रुपये के बांड के बदले जमानत मिली है। हालंकि, जमानत मिलने के बावजूद संदीप घोष जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे क्योंकि आरजी कर मेडिल कॉलेज एंड हॉस्पिटल द्वारा वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। उस मामले में उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल सकी है। दूसरकी तरफ अभिजीत मंडल के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है क्योंकि इस केस के अलावा फिलहाल उन पर कोई और केस नहीं है।

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बता दें कि संदीप घोष और अभिजीत मंडल, दोनों पर आरजी कर की जघन्य घटना के सबूत नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप है। इस बीच पूरे घटनाक्रम में सीबीआई की भूमिका पर भी बड़े सवाल उठे हैं। प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त को अस्पताल के सेमिनार कक्ष में पाया गया था। इसके बाद कोलकाता पुलिस ने अपराध के सिलसिले में अगले दिन स्वयंसेवी संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच शुरुआत में कोलकाता पुलिस कर रही थी लेकिन स्थानीय जांच से असंतुष्ट होने के कारण कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को इस मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त को मामले की निगरानी करने का फैसला किया था।

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