पश्चिम बंगाल : आरजी कर पीड़िता को न्याय के लिए जूनियर डॉक्टरों ने बनाई रणनीति
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने कोलकाता में एक सामूहिक सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने आर.जी. कर पीड़िता को न्याय दिलाने और राज्य सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की रणनीति बनाई। सम्मेलन में...
जूनियर डॉक्टरों ने कोलकाता में सामूहिक सम्मेलन आयोजित किया राज्य सरकार से मांगों को पूरा कराने के लिए अगली रणनीति बनाई
कोलकाता, एजेंसी। पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने अपना आमरण अनशन वापस लेने के पांच दिन बाद शनिवार को एक सामूहिक सम्मेलन आयोजित किया। इसमें उन्होंने आर.जी. कर पीड़िता को न्याय दिलाने और राज्य सरकार से उनकी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपने अगले कदम की रणनीति बनाई।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आयोजित चार घंटे चले सामूहिक सम्मेलन में विभिन्न सरकारी चिकित्सा प्रतिष्ठानों के डॉक्टरों के अलावा नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कथित रूप से व्याप्त धमकी संस्कृति पर भी चर्चा की। साथ ही राज्य सरकार पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की।
आंदोलनकारी डॉक्टरों में से एक अनिकेत महतो ने कहा, हमने अपनी बहन के लिए न्याय मांगने के लिए यह सामूहिक सम्मेलन बुलाया है, जिसके साथ 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या की गई थी।
कार्यक्रम में एक अन्य आंदोलनकारी डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा, ‘कुछ डॉक्टरों द्वारा शुरू किया गया विरोध अब एक बड़ा रूप ले चुका है। हम जानना चाहते थे कि अस्पताल के सेमिनार हॉल (जहां शव मिला था) में क्या हुआ था। हमें नहीं पता था कि यह आंदोलन इतना लंबा चलेगा और हमें इतने लोगों का समर्थन मिलेगा।
21 अक्टूबर को आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक के बाद अपना आमरण अनशन समाप्त कर दिया, जिन्होंने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। शनिवार को जूनियर डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि आरजी कर अस्पताल में ऑन-ड्यूटी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के पीछे की सच्चाई को दबाने और दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
एक अन्य आंदोलनकारी डॉक्टर किंजल नंदा ने कहा, ‘हम जानना चाहते थे कि सच्चाई क्या है और इसीलिए हमने मजिस्ट्रेट जांच की मांग की थी। सच्चाई को दबाने की कोशिश की गई है। हम न केवल न्याय चाहते हैं बल्कि हम सिस्टम को भी साफ करना चाहते हैं।
आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर का शव बरामद होने के बाद 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टरों द्वारा शुरू किया गया ‘कार्य विराम 42 दिनों तक जारी रहा। उसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया।
इस बीच, डॉक्टरों के एक अन्य समूह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन का गठन किया, जिन्हें मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में ‘धमकी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कथित तौर पर एक आंतरिक समिति द्वारा जारी किए गए निलंबन के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश मिला था।
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