बिजली बिल बढ़ाने के बजाय लाइन लॉस क्यों नहीं घटाया जाता? उपभोक्ताओं को यह होगा फायदा
- इसके कारण डिस्कॉम पूरी प्रक्रिया को उलझाए रहता है। यूपीसीएल की बिजली बिल वसूली पर भी सवाल उठाए गए। शत प्रतिशत वसूली सुनिश्चित न होने का भार भी उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है।
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में शुक्रवार को अगले तीन वर्षों के लिए मल्टी ईयर टैरिफ पर सुनवाई हुई। उद्योगों के साथ ही ऊर्जा के तीनों निगमों ने अपना पक्ष रखा। उद्योगों ने टैरिफ को नियंत्रित रखने को शत प्रतिशत बिल वसूली और लाइन लॉस को कम करने पर जोर दिया।
उद्योग जगत से आए आशु गुप्ता ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग कई बार यूपीसीएल को निर्देश दे चुका है कि एचटी और एलटी लाइनों का अलग-अलग लाइन लॉस तय किया जाए। एचटी लाइन पर 10 किमी में 0.5 प्रतिशत भी लॉस नहीं होता।
एलटी लाइन पर यही लाइन लॉस एक किमी में ही 10 से 15 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। ऐसे में एचटी लाइन के उपभोक्ताओं को भी एलटी लाइन के लॉस का खामियाजा भुगतना पड़ता है।उद्योगों ने ओपन एक्सेस के जरिये राज्य से बाहर से बिजली खरीदने की प्रक्रिया को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया।
कहा कि कई अहम बिंदुओं पर स्पष्टता ही नहीं है। इसके कारण डिस्कॉम पूरी प्रक्रिया को उलझाए रहता है। यूपीसीएल की बिजली बिल वसूली पर भी सवाल उठाए गए। शत प्रतिशत वसूली सुनिश्चित न होने का भार भी उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है।
सुनवाई में कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा, एमडी पिटकुल पीसी ध्यानी, आयोग सचिव नीरज सती, निदेशक दीपक पांडे, प्रभात डिमरी, अजय अग्रवाल, मनदीप राणा आदि मौजूद रहे।
बिना इंस्पेक्टर मंजूर हों खर्चे : यूपीसीएल
ऊर्जा निगमों ने आयोग से कई प्रकार की रियायतें मांगी। यूपीसीएल की ओर से कहा गया कि कैपिटल एक्सपेंडिचर के रूप में आयोग बिना इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर के सर्टिफिकेट के भी खर्चों को मंजूरी दे। इक्विटी पर 15.5 की बजाय 16.5 प्रतिशत रिटर्न मांगा गया। शॉर्ट टर्म पावर परचेज की सीलिंग को 105 से बढ़ा कर 120 प्रतिशत करने पर जोर दिया गया।
यूजेवीएनएल की ओर से कहा गया कि पांच करोड़ के कार्यों की मंजूरी बोर्ड से लेने की व्यवस्था आयोग ने दी है। जबकि बोर्ड ने ही एमडी को 20 करोड़ तक के कार्यों की अप्रूवल दी है। ऐसे में 20 करोड़ तक के कार्यों को बोर्ड से मंजूर कराने की व्यवस्था संशोधित की जाए।
फ्यूल पावर सरचार्ज का पड़ता रहेगा भार
बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त महंगी बिजली का भार हर महीने फ्यूल पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट के रूप पड़ता रहेगा। इसके लिए यूपीसीएल हर महीने फ्यूल पावर सरचार्ज की दरों को जारी करता है।
अप्रैल में पड़ेगा भार
आयोग ने यूपीसीएल के पूर्व में कैपिटल मद में किए गए खर्चों को भले ही अभी स्वीकार न किया हो, लेकिन अप्रैल 2025 में आने वाले टैरिफ में इसका भार जरूर पड़ेगा। यूपीसीएल की ओर से 30 नवंबर तक आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरें बढ़ाने का नया प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसमें पूर्व में हुए खर्चों को नई बिजली दरों में जोड़ने का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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