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रुद्रप्रयाग टेंपो ट्रैवलर सड़क हादसे में हुआ बड़ा खेल, 15 मौतों के बाद ड्राइवर के लाइसेंस में बदलाव

परिवहन विभाग के अनुसार, नई दिल्ली से शुक्रवार रात ड्राइवर करन सिंह टैम्पो ट्रैवलर में 23 युवाओं के दल को लेकर चला था। यह वाहन शनिवार सुबह करीब 11.30 बजे रुद्रप्रयाग के पास दुर्घटना का शिकार हुआ।

Himanshu Kumar Lall देहरादून। चंद्रशेखर बुड़ाकोटी, Mon, 17 June 2024 09:57 AM
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रुद्रप्रयाग में हुए वाहन हादसे में नया खुलासा हुआ है। इस वाहन का ड्राइवर अपने लाइसेंस को हिल इंडोर्स कराए बिना ही रुद्रप्रयाग चला गया था। हादसा होने के चार घंटे के बाद संदिग्ध तरीके से किसी दूसरे व्यक्ति ने उसके लाइसेंस को परिवहन विभाग के पोर्टल पर आकर हिल इंडोर्स कराया। परिवहन विभाग की जांच में यह बात सामने आई।

परिवहन विभाग के अनुसार, नई दिल्ली से शुक्रवार रात ड्राइवर करन सिंह टैम्पो ट्रैवलर में 23 युवाओं के दल को लेकर चला था। यह वाहन शनिवार सुबह करीब 11.30 बजे रुद्रप्रयाग के पास दुर्घटना का शिकार हो गया और 15 लोग काल के गाल में समा गए। सूत्रों के अनुसार, हादसे के बाद परिवहन विभाग ने वाहन की जांच के साथ ड्राइवर के लाइसेंस की पड़ताल की।

इस दौरान पता चला कि ड्राइवर करन को 2019 में अलीगढ़ से लाइसेंस जारी हुआ था। जांच आगे बढ़ी तो उत्तराखंड के ग्रीन कार्ड पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों से सामने आया कि करन के लाइसेंस को हिल इंडोर्स करने की कार्रवाई शनिवार अपराह्न 3.34 बजे की गई। जबकि उस वक्त करन अस्पताल में भर्ती था और बाद में उसकी मौत हो गई थी।

इससे साफ हो गया कि फीस का भुगतान और ऑनलाइन टेस्ट, करन की जगह किसी अन्य व्यक्ति ने दिया। ऐसा करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जा रही है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कोरोना में सरल कर दी थी हिल इंडोर्स की प्रक्रिया
उत्तराखंड में पहले हिल इंडोर्स की प्रक्रिया काफी सख्त थी। ड्राइवर को राज्य के किसी परिवहन कार्यालय में उपस्थित होकर हिल इंडोर्स टेस्ट देना होता था। कोरोनाकाल में प्रक्रिया को ऑनलाइन करते हुए सरल कर दिया गया।

इसके तहत आवेदन व फीस का भुगतान ऑनलाइन करना होता है। इसके बाद 20 मिनट की फिल्म देखने के बाद कुछ प्रश्नों के जवाब देने होते हैं। इसमें ड्राइवर को न कोई प्रैक्टिकल परीक्षा देनी होती है और न पर्वतीय मार्गों पर वाहन चलाने की उसकी काबिलियत को ही परखा जाता है।

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