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केदारनाथ मंदिर में कितना सोना, एक साल की जांच के बाद सामने आया सच

केदारनाथ धाम के मंदिर में सोने को लेकर उठे विवाद का राज्य सरकार ने पटाक्षेप कर दिया है। एक साल की जांच के बाद सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर के गर्भगृह में कितने सोने का उपयोग किया गया है।

Admin हिन्दुस्तान टाइम्स, देहरादूनWed, 31 July 2024 10:21 AM
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प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ धाम के मंदिर में सोने को लेकर उठे विवाद का राज्य सरकार ने पटाक्षेप कर दिया है। करीब एक साल की जांच के बाद सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर के गर्भगृह में कितने सोने का उपयोग किया गया है। पिछले साल जून में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत के घिस जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया था।

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह के अंदर की गई सोने की सजावट में अनियमितताओं के आरोपों पर उत्तराखंड के धार्मिक मामलों के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने पिछले साल जांच के आदेश दिए थे। इसके लिए गढ़वाल के आयुक्त की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी। जांच के आदेश देने के एक साल से अधिक समय बाद समिति ने पाया कि इस मामले में कोई अनियमितता नहीं बरती गई है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि ऐसा कोई ठोस तथ्य नहीं है जो बताता हो कि कुल 228 किलोग्राम सोना दान किया गया था। दानकर्ता ने स्वयं कहा है कि केवल 23 किलोग्राम सोने का उपयोग किया गया था।

मामले की जांच करने वाले गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने कहा कि कोई अनियमितता नहीं पाई है। दाता द्वारा दान किया गया सोना पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया था। इस बात का कोई तथ्य या सबूत नहीं है कि 228 किलो सोना दान किया गया। दानकर्ता ने खुद कहा कि केवल 23 किलो सोना इस्तेमाल किया गया। 

भाजपा नेता और बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि एक तीर्थयात्री दानकर्ता ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने की परत चढ़ाने की इच्छा व्यक्त की थी।  उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए बीकेटीसी की बोर्ड बैठक में उसे मंजूरी दे दी गई। इसके बाद 2022 में बीकेटीसी अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार अनुमति दी गई और 2022 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की देखरेख में कार्य किया गया।

अजय ने कहा, “हमने टैक्स इनवॉइस (जहां से जौहरी ने सोना खरीदा था), दान प्रवेश रसीद (बीकेटीसी की) सार्वजनिक कर दी है। इन दस्तावेजों से  स्पष्ट है कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगभग 23 किलोग्राम सोने  और लगभग 1000 किलोग्राम तांबे का उपयोग किया गया था। सोना हमेशा तांबे की प्लेट में रखा जाता है। यह कभी भी केवल सोना नहीं होता। देश के हर प्रमुख तीर्थस्थल पर ऐसा ही किया जाता है। एक जगह सोना घिसा हुआ था। उन्होंने (कांग्रेस) क्लोज-अप तस्वीर फैलाई और आरोप लगाया कि सोना गायब हो गया है। कांग्रेस राजनीतिक फायदे के लिए दुष्प्रचार कर रही है।

अजय ने कहा कि गर्भगृह में सिर्फ एक जगह सोना खराब हो गया था। पिछले साल 17 जून को खराब जगह की मरम्मत के लिए कारीगर आए थे। मंदिर के अंदर सोना चढ़ाने में 14 करोड़ रुपये मूल्य का लगभग 23 किलोग्राम सोना और 29 लाख रुपये मूल्य का 1001 किलोग्राम तांबा इस्तेमाल किया गया था। वित्तीय अनियमितता और सोना गायब होने के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं।

यहां पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उत्तराखंड के धार्मिक मामलों के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को कहा कि जिस व्यक्ति ने सोना दान किया है, वह यह नहीं कह रहा है कि सोना चोरी हो गया है। जबकि बाकी सभी लोग बयान दे रहे हैं। मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। हममें से सभी की केदारनाथ धाम के प्रति आस्था है, इसके बारे में कोई भी गलत बात या गलत धारणा फैलाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, "मैंने पिछले साल इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। मैंने जांच रिपोर्ट मांगी है। वह मेरे पास है। मैं रिपोर्ट का अध्ययन करूंगा और पूरी बात प्रेस के सामने रखूंगा।"

19 जुलाई को जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पत्रकारों ने देहरादून में केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह के अंदर की गई सोने की सजावट में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बारे में सवाल किया, तो धामी ने कहा कि आरोप तथ्यों से परे हैं। 

कांग्रेस की प्रदेश मीडिया प्रभारी गरिमा दासुनी ने कहा कि अगर उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो राज्य सरकार ने पिछले एक साल में रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की। वे कह रहे हैं कि दानकर्ता ने कोई मुद्दा नहीं उठाया है। यह विचित्र है। सच तो यह है कि पूरे मामले में लोगों को अंधेरे में रखा गया है। अगर सतपाल महाराज ने एक साल पहले जांच का आदेश दिया था, तो उसके निष्कर्ष अब तक साझा क्यों नहीं किए गए?

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