Truck Drivers Face Health Issues and Work Pressure बोले रुद्रपुर: ट्रक चालकों की सेहत पर दिया जाए ध्यान, लगाएं शिविर, Rudrapur Hindi News - Hindustan
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बोले रुद्रपुर: ट्रक चालकों की सेहत पर दिया जाए ध्यान, लगाएं शिविर

ट्रक चालकों को लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठकर गाड़ी चलाने और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनकी मांग है कि समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएं और शहर में नो एंट्री के समय में...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरThu, 15 May 2025 08:50 PM
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बोले रुद्रपुर: ट्रक चालकों की सेहत पर दिया जाए ध्यान, लगाएं शिविर

ट्रक चालकों को अक्सर लंबी दूरी का सफर तय करना पड़ता है। ऐसे में ज्यादातर समय तक एक ही मुद्रा में रहने के कारण ट्रक चालकों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ट्रक चालकों का कहना है कि उनके जीवन में घातक बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है। ज्यादातर ट्रक चालकों को शरीर में दर्द, आंखों व सांस से संबंधित बीमारियों आदि की शिकायत रहती है। मांग है कि उनके लिए समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएं। इसके अलावा शहर में नो एंट्री खुलने के समय में भी बदलाव चाहते हैं। लंबी-लंबी दूरी के लिए भी ज्यादातर ट्रकों में एक ही चालक की व्यवस्था होती है, जबकि उनके ऊपर सामान को समय पर पहुंचाने का अत्यधिक दबाव भी रहता है।

ट्रक चालक परिवहन विभाग में घूसखोरी से भी काफी नाराज हैं। ट्रक चालकों के जीवन में अत्यधिक संघर्ष है। किसी भी अन्य पेशे की तरह ट्रक चालकों के सामने भी कई चुनौतियां व कठिनाइयां हैं। ट्रक चालकों पर अक्सर सामान को खराब हुए बिना समय से पहले पहुंचाने का भारी दबाव रहता है। इसकी वजह से उन्हें अक्सर ठीक से आराम करने को नहीं मिल पाता है। अक्सर लंबा सफर करने से ट्रक चालक थक जाते हैं और उन्हें तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। रुद्रपुर में ट्रक चालकों के लिए स्वास्थ्य शिविर आदि का आयोजन नहीं किया जाता है, जिससे उन्हें होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी भी ठीक से नहीं मिल पाती है। चिकित्सकों का मानना है कि ज्यादातर ट्रक चालकों को नींद, आंख, फेफड़ों आदि से संबंधित बीमारियां होना सामान्य है। ट्रक चालकों की मांग है कि उनके लिए नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाए जाने चाहिए। कहा कि ट्रक चालकों का कोई संगठन नहीं है, इसलिए उनकी आवाज हमेशा दब जाती है। ट्रांसपोर्टरों का मकसद ट्रक चालकों से ज्यादा से ज्यादा कार्य कराना रहता है, लेकिन उनके स्वास्थ्य, खान-पान आदि की उन्हें कोई चिंता नहीं रहती है। उनका कहना है कि एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर औसतन 3-4 स्थानों पर परिवहन विभाग के अधिकारी गाड़ी रोक लेते हैं। आरोप है कि गाड़ी में कोई न कोई कमी निकालकर घूस की मांग करते हैं। कहा कि ट्रकों की ऊंचाई परिवहन विभाग ही तय करता है, लेकिन सड़क पर इसे लेकर विभाग के अधिकारी चालकों को परेशान करते हैं। ट्रक चालकों की संख्या में आ रही कमी को वह वेतन की विसंगतियां व काम का अतरिक्त दबाव बताते हैं। स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं ट्रक चालक : ट्रक चालकों को रातभर जागकर और लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठकर गाड़ी चलानी पड़ती है, जिससे उनका कार्य काफी थका देने वाला होता है। ऐसे में उन्हें आंखों, फेफड़ों आदि से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। चिकित्सकों का कहना है कि कई अन्य व्यवसायों की तरह ट्रक चालकों के साथ भी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं जुड़ी होती हैं। उच्च रक्तचाप, उच्च तनाव स्तर आदि कारणों की वजह से ट्रक चालकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कहा कि ज्यादातर समय एक ही मुद्रा में रहने के कारण ट्रक चालकों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। घंटों तक गाड़ी चलाने की वजह से नींद की गलत दिनचर्या के कारण शरीर में थकान पैदा हो जाती है। केबिन में सीमित गतिशीलता के कारण चालक चाहकर भी अपनी मांसपेशियों को ज्यादा हिला-डुला नहीं पाते हैं। घंटों तक एक ही सीट पर बैठने से गर्दन और पीठ में चोट लग सकती है। इसके अलावा, लगातार डीजल आदि के संपर्क में रहने से ट्रक चालकों के जीवन में घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है। ज्यादातर ट्रक चालक धूम्रपान करते हैं, जिससे फेफड़ों के कैंसर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। शहर में नो-एंट्री के समय में हो बदलाव : सुबह और रात्रि में एक निश्चित समय के बाद ही भारी वाहनों को शहर के भीतर प्रवेश करने की अनुमति होती है। रुद्रपुर में भारी वाहनों को सुबह 6 से रात्रि 11 बजे तक शहर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं मिलती है। ट्रक चालकों का कहना है कि नो-एंट्री के समय में बदलाव किया जाना चाहिए। रात्रि में 11 बजे के समय को कम किया जाना चाहिए। कहा कि कई शहरों में भारी वाहनों के प्रवेश का समय रात्रि 10 बजे तक है। कहा कि इसके अलावा, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद आदि में दिन में भी भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगता है। कहा कि प्रतिबंध होने के कारण उनका काफी समय व्यर्थ चला जाता है, इसलिए शहर में प्रवेश के समय में ढील दी जानी चाहिए। हालांकि, उन्हें निर्माणाधीन रिंग रोड के जल्द बनने की उम्मीद है। कहा कि रिंग रोड का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ट्रक चालकों को शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनका काफी समय बचेगा। सामान को सही हालत और समय से पहुंचाने का रहता है दबाव : ट्रक चालकों पर काम का अत्यधिक दबाव रहता है। उनके सामने सामान को सही सलामत और समय पर पहुंचाने की चुनौती रहती है। इसकी वजह से चालकों को इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ट्रक चालकों ने बताया कि लंबे-लंबे रूटों पर जाना पड़ता है। ऐसे में कई बार 6 दिन के सफर को 4 दिन में पूरा करने का दबाव होता है, लेकिन कई बार ट्रैफिक जाम, खराब मौसम आदि के कारण उनकी पूरे दिन की योजना बाधित हो जाती है। इससे उन्हें काफी देर तक गाड़ी चलाने को मजबूर होना पड़ता है। कहा कि ज्यादातर बार ट्रांसपोर्टर व कंपनी प्रबंधक उन्हें हर हाल में माल पहुंचाने के लिए मजबूर करते हैं, लेकिन इससे उनके आराम के घंटे प्रभावित होते हैं। कहा कि इसके अलावा ट्रकों में जानबूझकर भार से अधिक क्षमता का सामान लोड किया जाता है। उनकी कोई सुनने वाला नहीं होता है। शिकायत करने पर चालकों की नौकरी जाने का खतरा रहता है। कम वेतन में काम करने को मजबूर : ट्रक चालकों को काफी कम वेतन में कार्य करने को मजबूर हैं। ट्रक चालकों ने बताया कि वेतन के अलग-अलग नियम हैं। कई ट्रक चालकों को 25-30 हजार रुपये महीने वेतन मिलता है, लेकिन उनका ट्रक कभी भी खड़ा नहीं रहता है। जिन चालकों को कम वेतन मिलता है, उनके ट्रक अक्सर खड़े रहते हैं। कहा कि ट्रांसपोर्टरों के पास सैकड़ों की संख्या में ट्रक होते हैं। ऐसे में वह कुछ ट्रकों में स्थाई चालकों की नियुक्ति करते हैं। ऐसे चालकों को महीने में प्रतिदिन काम मिलता है। इसकी तुलना में कुछ चालकों को अस्थाई तौर पर रखा जाता है। ऐसे चालकों को कम वेतन दिया जाता है, लेकिन इन्हें महीने में 10-15 दिन ही काम मिल पाता है। कहा कि ऐसे ट्रक चालकों का इस्तेमाल अक्सर सामान को कम समय में पहुंचाने के लिए किया जाता है। यही वजह है कि ट्रक चालकों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई है। ट्रक चालक इमरान कहते हैं कि सामान लोड नहीं होने के कारण उनका ट्रक बीते 5-7 दिन से सिडकुल ढाल स्थित पार्किंग में खड़ा है। वेतन मांगने पर ट्रांसपोर्टर अक्सर ट्रक खड़ा होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। कहा कि घर से दूर रहने के कारण बाहर का खाना खाते हैं। इस वजह से खाने का खर्चा भी बढ़ जाता है। कहा कि उन्हें ईएसआई, पीएफ आदि का भी लाभ नहीं मिलता है। अपने परिवार को नहीं दे पाते समय : कई दिनों तक यात्रा करने की वजह से ज्यादातर ट्रक चालक अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। ट्रक चालक ने बताया कि वह अर्थव्यवस्था को संभालने वाले एक ढांचा हैं, जो दवाइयों, भोजन, कपड़ों व अन्य सामान को गंतव्य तक पहुंचाते हैं। इसकी वजह से ज्यादातर ट्रक चालकों को अपने परिवार व प्रियजनों से लंबे समय तक दूर रहकर समय बिताना पड़ता है। बताया कि उन्हें तमिलनाडु, बेंगलुरु, चेन्नई, बिहार आदि तक सामान को छोड़ने और वहां से लेकर आना पड़ता है। इसमें अमूमन 7-15 दिन लग जाते हैं, जिसकी वजह से उनके पास समय की काफी कमी होती है। ऐसे में ज्यादातर चालक महीनों घर से बाहर रहते हैं। कई लोगों की नई शादी हुई होती है, लेकिन काम की वजह से जाना पड़ जाता है। कहा कि तीन-चार महीनों में एक बार ही वह अपने परिजनों से मिल पाते हैं। कहा कि समय की कमी के कारण कई बार पारिवारिक व करीबी रिश्तेदारों के विवाह आदि कार्यक्रमों तक में नहीं जा पाते हैं। शिकायतें 1-लंबे समय तक गाड़ी चलाने, एक ही मुद्रा में बैठे रहने आदि के कारण ट्रक चालकों को स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 2-शहर में प्रवेश पर सुबह 6 से रात्रि 11 बजे तक प्रतिबंध होने से ट्रक चालकों का अत्यधिक समय खराब होता है। नो एंट्री के समय को कम किया जाना चाहिए। 3 ट्रक चालकों पर सामान को सही सलामत और समय से पहुंचाने का अत्यधिक दबाव होता है। ट्रैफिक आदि की वजह से उन्हें कई बार देर तक गाड़ी चलानी पड़ती है। 4-ट्रक चालक कम वेतन में वाहन चलाने को मजबूर हैं। इसकी वजह से उनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। साथ ही वे अपने परिवार को भी समय नहीं दे पाते हैं। 5-लंबे समय तक यात्रा करने की वजह से ट्रक चालक महीनों तक अपने परिजनों से नहीं मिल पाते हैं। लंबी दूरी के दौरान ट्रक में एक ही चालक रखा जाता है। सुझाव 1-ट्रक चालकों के कार्य व्यवहार के अनुरूप उन्हें स्वास्थ्य संबंधी शिकायत होना आम है। उनके स्वास्थ्य जांच के लिए समय-समय पर शिविर आयोजित किए जाने चाहिए। 2-ट्रक चालकों की मांग है कि शहर में प्रवेश के समय में बदलाव किया जाना चाहिए। निर्माणाधीन रिंग रोड के बनने से ट्रक चालकों को राहत मिलेगी। 3-ट्रक चालकों को सामान को पहुंचाने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, जिससे उन्हें अतिरिक्त समय तक गाड़ी नहीं चलानी पड़े और वे आराम कर सकें। 4-ट्रक चालकों का वेतन बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे उनकी संख्या में गिरावट न आए। साथ ही, उन्हें ईएसआई कार्ड आदि की सुविधा मिलनी चाहिए। 5-अन्य व्यवसायों की तरह ट्रक चालकों को भी महीने में छुट्टी दी जानी चाहिए। साथ ही, लंबी दूरी में दो चालक रखे जाने चाहिए, ताकि उन्हें राहत मिल सके। साझा किया दर्द ट्रक चालकों को लंबे समय तक गाड़ी चलानी पड़ती है। इसके लिए रात-रातभर जागना पड़ता है। स्वास्थ्य समस्याएं निश्चित होंगी। स्वास्थ्य शिविर लगाए जाने चाहिए। -इरफान ट्रक चालकों का वेतन बहुत कम होता है। काम भी पूरे महीने नहीं मिलता है। घर खर्च चलाने में दिक्कत होती है। हमें रोजाना बाहर का खाना भी खाना पड़ता है। -कमल सिंह जिन ट्रकों को परिवहन नियम अनुमति देता है, विभाग के अधिकारी उसी में खामियां निकालते हैं। जगह-जगह पर आरटीओ मिल जाते हैं। इसमें सुधार होना चाहिए। -संतोष कुमार आरटीओ की समस्या मुख्य है। मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, चेन्नई लगभग सभी जगहों पर आरटीओ काफी परेशान करते हैं। इस मामले में बिहार में अंधेरगर्दी है। -बंटू ट्रांसपोर्टरों से परेशानी है। उन्हें अपना माल समय से पूर्व पहुंचाना होता है, लेकिन कई दिनों से हमारे ट्रक खड़े हैं, उसकी परवाह नहीं होती है। चालक के बारे में सोचा जाना चाहिए। -वीर बहादुर सिंह समय नहीं मिलने से परिवार से नहीं मिल पाते हैं। 6-6 महीने में एक बार घर जाना हो पाता है। यात्रा पर होने की वजह से कई बार पारिवारिक कार्यक्रमों में भी शामिल नहीं हो पाते हैं। -उपदेश कुमार ट्रक चालकों के लिए भी स्वास्थ्य शिविर लगे तो यह अच्छी बात है। ट्रक चालक अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनकी किसी को चिंता नहीं रहती है। -समीर ट्रक चालकों की समस्याएं बहुत हैं। हर स्तर पर हमारा शोषण होता है। वेतन बहुत कम और वह भी समय से नहीं मिल पाता है। काम के घंटे तय नहीं हैं। -इमरान शहर में नो एंट्री के समय को कम किया जाना चाहिए। रात्रि में 11 बजे के बाद नींद आने लगती है। कई शहरों में 10 बजे के बाद नो एंट्री खुल जाती है। -दिलशाद सबसे बड़ी समस्या परिवहन विभाग की है। जगह-जगह अधिकारी परेशान करते हैं। इनकी वजह से 3000 रुपये तक अतरिक्त खर्च होता है। घूसखोरी नहीं होनी चाहिए। -संजय परिजनों से मिलने का समय नहीं निकाल पाते हैं। हमारी भी छुट्टियां तय होनी चाहिए। चालकों को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही उनकी संख्या कम हो रही है। -कृष्णा यादव स्वास्थ्य शिविर सुबह के समय लगना चाहिए, उस समय ज्यादा चालक यहीं मौजूद रहते हैं। यह अच्छी पहल है। ट्रक चालकों की स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए। -मनोज बोले सीएमओ ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन या ट्रक चालकों की ओर से निवेदन किए जाने पर उनके स्वास्थ्य के लिए जांच शिविर लगाया जाएगा। लगातार गाड़ी चलाने, नींद पूरी नहीं होने, खानपान में संतुलन न होने, ध्रूमपान की वजह से ट्रक चालकों में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां होने लगती हैं। - डॉ. केके अग्रवाल, सीएमओ बोले आरएम ट्रक चालकों के स्वास्थ्य का विषय अति महत्वपूर्ण है। इस संबंध में मामला संज्ञान में आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। - मनीष बिष्ट, आरएम, सिडकुल

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