सड़क 3 मीटर चौड़ी-बगल में गहरी खाई, गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने वाले स्टेट हाईवे पर खतरे ही खतरे
- गढ़वाल के मजेडा बैंड तक 41 किमी सड़क की पड़ताल की। सल्ट से मर्चुला तक तो सड़क 5 से 6 मीटर चौड़ी मिली लेकिन इससे आगे कई बार ऐसे मौके आए जब टैक्सी को पास देने के लिए बाइक भी रोकनी पड़ी।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुए बस ऐक्सीडेंट के बाद सल्ट हादसे की जांच शुरू हो गई है। यदि शासन-प्रशासन ने पुराने हादसों से सबक लिया होता तो कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने वाले मर्चुला-भैरंगखाल-सराईखेत स्टेट हाईवे की हालत गांव के संपर्क मार्गों जैसी नहीं होती।
इसी हाईवे पर पड़ता है कूपी गांव जहां सोमवार को बस खाई में गिरने से 36 लोगों की मौत हो गई। विभागीय जांचों की रिपोर्ट आने में समय लगेगा लेकिन आपके आपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ की पड़ताल आपको बताएगी कि कैसे लोग रोज इस सड़क पर जान खतरे में डालकर सफर करते हैं।
’हिन्दुस्तान’ संवाददाता ने मंगलवार को सल्ट से सफर शुरू कर गढ़वाल के मजेडा बैंड तक 41 किमी सड़क की पड़ताल की। सल्ट से मर्चुला तक तो सड़क 5 से 6 मीटर चौड़ी मिली लेकिन इससे आगे कई बार ऐसे मौके आए जब टैक्सी को पास देने के लिए बाइक भी रोकनी पड़ी।
ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि दो कारें या बड़े वाहन आमने-सामने आ जाते होंगे तो वाहन चालक पास लेने के लिए कितने लोगों की जान को खतरे में डालते होंगे। क्योंकि संकरी सड़क के बगल में 100 से 250 फीट तक गहरी खाई है।
ऐसी जानलेवा जगहों पर भी न क्रश बैरियर नजर आते हैं और न पैराफिट बने हैं। तीखे मोड़, सड़क पर बने गहरे गड्ढे और उखड़ा डामर भी पूरे सफर में आपके ड्राइविंग कौशल की परीक्षा लेता है।
सड़क का मानक
1 सबसे छोटी सड़क सिंगल लेन होती है इसकी चौड़ाई कम से कम 5.95 मीटर होनी चाहिए और इसमें 3.75 मीटर का डामर होना चाहिए। इसी तरह डेढ़ लेन की सड़क 10 मीटर और इसमें 5.50 मीटर डामर जरूरी है।
2 टू-लेन सड़क की चौड़ाई 12 मीटर तक होती है और इसमें 7.30 मीटर तक डामर आवश्यक रूप से होना चाहिए।
3 फोर लेन सड़कों की चौड़ाई सबसे अधिक 20 मीटर होती है जबकि इस
मुसीबत में यात्री
बीस किमी सड़क केवल तीन मीटर चौड़ी
मर्चुला से लेकर पौड़ी के मजेड़ा तक 20 किमी के सफर में सैकड़ों खतरे हैं। इस सड़क पर पड़ने वाले गांव-कस्बों से लगी सड़क को छोड़ दिया जाए तो 15 किमी का हिस्सा 2.50 से तीन मीटर का ही है। इस पूरे सफर में केवल पांच किमी सड़क आपको ऐसी मिलेगी जो तीन मीटर से चौड़ी है।
ऐसे में वाहन चालकों को ओवरटेक करने के लिए कई बार पांच-पांच किमी तक का सफर करना पड़ता है तो कई बार मंजिल पर पहुंचकर ही पास मिलता है। पास लेने के लिए कई बार एक-एक किमी पीछे भी वाहनों को आना पड़ता है। इस दौरान तीस मीटर तक गहरी खाई से बचते हुए आपको वाहन चलाना होता है। ऐसे में थोड़ी सी लारवाही सल्ट हादसे जैसी हो सकती है।
संकट में डालती सड़क
सल्ट से ही जगह-जगह उखड़ा है सड़क का डामर
सड़क ही असल बदहाली भले ही मर्चुला के बाद नजर आती हो लेकिन प्रशासनिक अनदेखी का पता आपको सल्ट से लग जाता है। सल्ट से जगह-जगह सड़क पर उखड़ा डामर बताता है कि अफसरशाही जनता को लेकर किस कदर लापरवाह है। सड़क पर कई जगह दो-तीन फीट तक के गड्ढे भी हैं। गड्ढों में यदि टायर चला जाए तो छोटे वाहनों का पलटना तो तय है।
केवल पांच किमी पर भी क्रैश बैरियर और पैराफिट
मर्चुला से मजेड़ा तक बीस किमी के सफर में पांच किमी सड़क भी ऐसी नहीं मिलेगी जहां आपको क्रैश बैरियर या पैराफिट लगे नजर आएं। जबकि सड़क के एक तरफ गहरी खाई मौत बनकर सिर उठाए देख रही है। नीचे डेढ़ सौ मीटर गहरी खाई है। संकरी सड़क के बीच कोई हादसा हो जाए तो लोगों को बचाना मुश्किल होगा।
जगह-जगह जमींदोज सड़क और झांकती झाड़ियां
कई जगह सड़क लंबे समय से जमींदोज है, लेकिन अब तक उसे ठीक नहीं किया गया। हर मोड़ पर सड़क तक पहुंची झाड़ियां चालकों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। जो हादसे का सबब हैं। इसके अलावा सड़कों से उधड़ चुका डामर और बड़े-बड़े गड्ढे शासन-प्रशासन की पोल खोल रहे हैं।
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