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रजिस्ट्री घपले में ऐसे हुआ करोड़ों का खेल, सरकारी कर्मचारियों ने ही बेच डाली फर्जी तरीके से जमीन

  • इस मामले में मैसर्स आईआरवाईवी फिनकेप के प्रतिनिधि संजय कुमार पर आरोप है कि उन्होंने ईस्टहोप टाउन क्षेत्र में खसरा नंबर-870 और 893 की कुल 5.86 एकड़ भूमि को मैसर्स आकांक्षा कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2002 में बेचा।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तानTue, 17 Sep 2024 05:48 AM
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सरकार में निहित हो चुकी ईस्टहोप टाउन स्थित गोल्डन फॉरेस्ट और उसकी सहायक कंपनियों की जमीनें फर्जी तरीके से बेच दी गईं। रजिस्ट्री घपले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट पर प्रेमनगर थाना पुलिस ने तीन कंपनियों और एक व्यक्ति पर नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है।

नामजद आरोपी संजय कुमार पर सरकारी जमीन के घपले में पहले से केस दर्ज हैं। एसओ प्रेमनगर गिरीश नेगी के अनुसार, एसआईटी में शामिल सहायक महानिरीक्षक संदीप श्रीवास्तव ने एसएसपी को रिपोर्ट भेजी। 

कहा गया कि ईस्टहोप टाउन स्थित गोल्डन फॉरेस्ट और उसकी सहायक कंपनियों की सरकार में निहित जमीनों को फर्जी तरीके से बेचा गया। 1996-97 में तत्कालीन परगनाधिकारी ने इन जमीनों को सरकार में निहित करवाया था। 

इस मामले में मैसर्स आईआरवाईवी फिनकेप के प्रतिनिधि संजय कुमार पर आरोप है कि उन्होंने ईस्टहोप टाउन क्षेत्र में खसरा नंबर-870 और 893 की कुल 5.86 एकड़ भूमि को मैसर्स आकांक्षा कंस्ट्रक्शन कंपनी को 2002 में बेचा। 

जबकि, उनके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं था। जांच में पता चला कि विक्रय पत्र में 4.74 एकड़ की जमीन बढ़ाकर 5.86 एकड़ दिखाया गया। विक्रेता कंपनी के प्रतिनिधि संजय कुमार के पास बिक्री के लिए अधिकृत दस्तावेज नहीं था, जिससे यह अवैध बिक्री साबित होती है। 

इस मामले में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ अवैध तरीके से बेचने में संजय कुमार, आकांक्षा कंस्ट्रक्शन चकराता रोड, आईआरवाईवी फिनकेप के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

सरकारी कर्मचारियों संग मिल झाझरा में बेची जमीन

एसआईटी ने झाझरा में सरकारी जमीनें फर्जी तरीके से बेचने का खुलासा किया है। आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में सरकारी जमीन से सटी निजी जमीन का मालिक और तहसील विकासनगर के कुछ तत्कालीन कर्मचारी भी शामिल रहे। 

प्रेमनगर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए जांच पड़ताल शुरू कर दी है। थानाध्यक्ष गिरीश नेगी के अनुसार, रजिस्ट्री घपले की जांच कर रही एसआईटी में शामिल अफसर अरुण प्रताप सिंह की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया। 

पुलिस की एसआईटी ने जांच रिपोर्ट में कहा कि झाझरा तहसील विकासनगर की खतौनी में एक जमीन बलविंदरजीत निवासी इंदिरानगर बसंत विहार के नाम दर्ज थी। इनके पास खसरा 1156-घ की 3.5730 हेक्टेयर भूमि थी। 2002 से 2005 के बीच बलविंदर जीत ने यहां कई लोगों को जमीन बेची। 

इसके बाद उनके पास मौके पर 60 वर्गमीटर जमीन बची थी। आरोप है कि 2004 और 2005 में उन्होंने 0.3540 और 0.7770 हेक्टेयर भूमि बेच डाली। यह भी सामने आया कि आरोपी ने इंडियन सोसायटी फॉर ह्यूमैन वेलफेयर संस्था को भी 0.8460 हेक्टेयर भूमि बेची। 

जबकि, उनके पास वास्तव में इतनी भूमि थी ही नहीं। खसरा-1156 में राज्य सरकार, वन विभाग, नदी, जंगल-झाड़ी और बंजर श्रेणी की जमीन शामिल थी। आरोप है कि राजस्व विभाग के अफसर और कर्मचारियों से मिलीभगत करके यह फर्जीवाड़ा किया गया। 

क्योंकि, वहां समय पर राजस्व अभिलेखों में कोई बदलाव नहीं किया गया और भूमि की वास्तविक स्थिति नहीं जांची गई। नेगी ने बताया कि बलविंदरजीत और विकासनगर तहसील के तत्कालीन अज्ञात कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है।

फर्जी दस्तावेजों से भूमि की खरीद-फरोख्त पर कार्रवाई की मांग उठाई

जाखन के एक व्यक्ति पर फर्जी तरीके से जमीनों की खरीद फरोख्त का आरोप लगा है। आरोप है कि इस प्रकरण में कुछ निवर्तमान पार्षद भी शामिल हैं। सोमवार को प्रेस क्लब में अंसल ग्रीन वैली जाखन के प्रवीण भारद्वाज ने बताया, कुछ नेताओं के संरक्षण में एक व्यक्ति ने अधिशासी अभियंता-दक्षिण जल संस्थान की मुहर बनाकर पानी बिल और फर्जी कागजों से ही फर्जी बिजली बिल बनाया। इन्हीं दस्तावेजों से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाया गया। इसके बाद जमीनों की खरीद फरोख्त शुरू की। इस मामले में दर्ज केस की जांच ठंडे बस्ते में है।

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