15 दिन का होगा पितृ पक्ष, 14 में निपटेंगे श्राद्ध; जानिए कब से होगा शुरू
- 22 सितंबर को पंचमी के श्राद्ध के बाद 23 को षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। एकादशी के श्राद्ध के अगले दिन 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। इस दिन पिंडदान नहीं होगा। अंतिम यानि अमावस्या का श्राद्ध और पितरों का विसर्जन दो अक्तूबर को हो जाएगा।
पितरों को पिंडदान कर तर्पण और श्राद्ध करने के लिए पितृपक्ष शुरू होने में अब महज नौ दिन शेष हैं। पितृपक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से होगी। इस बार पितृ पक्ष 15 दिन का होगा लेकिन श्राद्ध 14 दिन में निपट जाएंगे।
दो अक्तूबर को अमावस्या श्राद्ध के साथ पितरों का विसर्जन हो जाएगा। वैसे तो पितृपक्ष 16 दिनों का माना गया है। लेकिन श्राद्ध के तिथियों में ऊंच-नीच होने के कारण इस बार 14 दिन में ही 16 श्राद्ध हो जाएंगे।
17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। इसके बाद 18 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो होगा और पहला प्रतिपदा का श्राद्ध इसी दिन होगा।
22 सितंबर को पंचमी के श्राद्ध के बाद 23 को षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। एकादशी के श्राद्ध के अगले दिन 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। इस दिन पिंडदान नहीं होगा। अंतिम यानि अमावस्या का श्राद्ध और पितरों का विसर्जन दो अक्तूबर को हो जाएगा।
ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि स्नान और दान के साथ पितरों का विसर्जन किया जाता है। कहा कि पितृ पक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा का समावेश किया जाता है।
तीन अक्तूबर से नवरात्र, 12 को विजयदशमी
ज्योतिष डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि पितरों का विसर्जन होने के बाद तीन अक्तूबर को दुर्गाष्टमी और दुर्गा पूजन के साथ नवरात्र शुरू हो जाएंगे। दस अक्तूबर को अष्टमी और 11 को नवमी होगी। 12 अक्तूबर को विजयादशमी होगी। आश्विन शुक्ल पक्ष के शुभ अवसर पर नवरात्र का आयोजन होता है।
23 को एक साथ दो श्राद्ध, 28 को कोई श्राद्ध नहीं
18 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष में पंचमी तक श्राद्ध सिलसिलेवार होंगे। जबकि 23 सितंबर को पष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक साथ होगा। इसके अलावा 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। एक अक्तूबर को चतुर्थी का श्राद्ध होगा। दो अक्तूबर को अमावस्या और पितरों का विसर्जन होगा।
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