Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़People of the plains rely more on government free ration than the mountains figures of this district will surprise

पहाड़ से ज्यादा मैदान के लोग सरकारी फ्री राशन के भरोसे, इस जिले के आंकड़ें करेंगे हैरान

  • जिन्हें प्रतिमाह सरकार की ओर से सस्ता गल्ला बांटा जाता है। लेकिन इस वर्ष अगस्त की बात करें तो पिथौरागढ़ के 35, अल्मोड़ा के 32 और बागेश्वर के 31 प्रतिशत लोग अपना राशन लेने के लिए सस्ता गल्ला दुकानों तक नहीं पहुंचे।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, हल्द्वानी। संतोष जोशीSat, 31 Aug 2024 04:24 PM
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पहाड़ से अधिक मैदान के लोग सरकारी राशन के भरोसे हैं। सस्ता गल्ला की दुकानों पर पहाड़ के जिलों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्र के लोग अधिक पहुंच रहे हैं। अगस्त महीने की बात करें तो कुमाऊं के पहाड़ी जिलों के 40 फीसदी उपभोक्ताओं ने राशन नहीं लिया। 

कमोवेश ऐसी ही स्थिति जुलाई की रही, लेकिन अगस्त के मुकाबले पिछले महीने अधिक लोगों ने सरकारी राशन लिया। कार्ड धारकों का पलायन और सस्ते गल्ले की दुकानों में राशन समय से नहीं पहुंचना भी पहाड़ में राशन की कम खपत होने की बड़ी वजह मानी जा रही है।

खाद्य आपूर्ति विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से मिले आंकड़ों के मुताबिक कुमाऊं के छह जिलों में स्टेट फूड योजना, अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों के तकरीबन दस लाख से अधिक राशन कार्ड धारक हैं। 

जिन्हें प्रतिमाह सरकार की ओर से सस्ता गल्ला बांटा जाता है। लेकिन इस वर्ष अगस्त की बात करें तो पिथौरागढ़ के 35, अल्मोड़ा के 32 और बागेश्वर के 31 प्रतिशत लोग अपना राशन लेने के लिए सस्ता गल्ला दुकानों तक नहीं पहुंचे। 

जबकि ऊधमसिंह नगर के सर्वाधिक 85 प्रतिशत, चम्पावत और नैनीताल जिले के 75 प्रतिशत कार्ड धारकों ने राशन लिया है। हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि कई ऐसे कार्ड धारक भी हैं जो राशन ले जा चुके हैं, लेकिन वेबसाइट पर डाटा शो नहीं हो रहा होता है। कई बार यह देरी से दिखाई देता है।

जुलाई में 20 प्रतिशत लोगों ने नहीं लिया राशन

आंकड़े बता रहे हैं कि कुमाऊं के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत और अल्मोड़ा जिले में जुलाई महीने में भी 20 प्रतिशत लोगों ने अपरिहार्य कारणों के चलते सरकारी राशन का लाभ नहीं लिया। जबकि नैनीताल और यूएस नगर में 90 प्रतिशत लोग राशन लेने पहुंचे। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक कई बार पहाड़ के उपभोक्ता राशन तो ले जाते हैं लेकिन उसका डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं होता। जिस कारण आंकड़ों में गड़बड़ी भी होती है।

कुमाऊं में सस्ता गल्ला की 3898 दुकानें

कुमाऊं के छह जिलों में सरकारी राशन का वितरण करने वाली सस्ता गल्ला की 3898 दुकानें हैं। जहां से लाखों लोग अपनी यूनिट के हिसाब से प्रतिमाह का राशन उठाते हैं। बात करें पूरे प्रदेश की तो 13 जिलों में सस्ता गल्ला की नौ हजार से अधिक दुकानें हैं।

अधिकांश कार्ड धारक हर महीने राशन लेते हैं। दस प्रतिशत ही ऐसे होते हैं जो कि किसी कारणवश राशन लेने नहीं पहुंच पाते। कई बार डाटा फीड नहीं हो पाने के कारण, राशन लेने की रिपोर्ट पोर्टल पर फीड नहीं होती।

विपिन कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी, नैनीताल

मंडल में पांच हजार अपात्र कार्ड भी

वेबसाइट में जारी आंकड़ों के मुताबिक कुमाऊं के छह जिलों में पांच हजार ऐसे राशन कार्ड धारकों का भी डाटा है, जिन्हें राशन संबंधी कोई सुविधा नहीं मिलती। क्योंकि यह सिर्फ डाटा के लिए विभाग के पास रहता है। इन्हें अपात्रों की श्रेणी में रखा गया है।

 

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