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नई गाड़ियों से ज्यादा रोड एक्सीडेंट-मौसम भी एक वजह; इन वजहों से ज्यादा मौतें

  • पिछले 12 साल में राज्यभर में हादसों में 11 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इन हादसों के कारण तलाशने के लिए परिवहन विभाग ने पूर्व के हादसों का अध्ययन किया था, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य मिले।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तानWed, 13 Nov 2024 09:52 AM
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अल्मोड़ा के सल्ट हादसे का दुख अभी कम हुआ भी नहीं था कि देहरादून में हादसे में छह युवाओं की दर्दनाक मौत ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। हादसों के लिहाज से राज्य की सड़कों पर लगा दाग रोज गहरा होता जा रहा है। पिछले 12 साल में राज्यभर में हादसों में 11 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

इन हादसों के कारण तलाशने के लिए परिवहन विभाग ने पूर्व के हादसों का अध्ययन किया था, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य मिले। जहां हालात, मौसम, सड़क की स्थिति अनुकूल समझी जाती है, वहीं सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं हैं। इस अध्ययन में परिवहन विभाग ने वर्ष 2022 के हादसों को आधार बनाया।

परिवहन विभाग का अध्ययन

-नए वाहनों से ज्यादा हादसे पांच साल से कम आयु के वाहनों से 541 हादसे हुए। इनमें सर्वाधिक 364 लोगों की मौत हुई। पंद्रह साल से अधिक आयु के वाहनों से सबसे कम यानी 97 हादसे हुए और इसमें 94 लोगों की जान गई।

- साइड से टक्कर ने ली 495 जान सड़क पर वाहन चलाने वक्त साइड से लगी टक्कर से सबसे ज्यादा 495 दुर्घटनाएं और 265 मौतें हुईं। इसके बाद हिट एंड रन, पीछे से टक्कर, खड़े वाहन से टक्कर की घटनाओं में सबसे ज्यादा जानें गईं।

- सीधी सड़क पर ज्यादा हादसे, टेढ़ी सड़कों पर कम सीधी सड़कों पर 1276 हादसे हुए, जिनमें 807 लोग मारे गए। घुमावदार, तीखे ढाल वाली सड़कों पर यह संख्या कम रही है।

- साफ मौसम में लापरवाही मौसम की स्थिति के आधार पर अध्ययन में पाया गया कि सर्वाधिक 1423 हादसे और 917 लोगों की मौत साफ मौसम के दौरान हुई। यह आंकड़ा बारिश के दौरान होने वाले हादसों से आठ गुना ज्यादा है। यही नहीं, बारिश, धुंध ओला-वर्षा आदि के दौरान हादसे कम हुए हैं।

सड़क हादसों की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हालिया कुछ वर्षों में ब्लैक स्पॉट को सुधारा गया है। इसके साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। सड़क सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा मानक नियंत्रित रफ्तार है।

ओवरस्पीड पर परिवहन विभाग भी कार्रवाई करता है, पर चालकों को भी खुद में आत्मानुशासन पैदा करना होगा। एक संतुलित रफ्तार पर चलाए जा रहे वाहन को चालक जरूरत पड़ने पर आसानी से नियंत्रित कर सकता है।

सनत कुमार सिंह, संयुक्त परिवहन आयुक्त

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