Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़If only we had learnt a lesson 6 years ago terrible bus accident in Almora would not have happened

काश! 6 साल पहले सबक ली होती तो अल्मोड़ा में नहीं होता भयानक बस हादसा

  • अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए सड़क हादसे से एक बार फिर पौड़ी गढ़वाल के धुमाकोट में हुए एक जुलाई 2018 के दर्दनाक बस हादसे के जख्मों को कर दिया है। इस हादसे में 48 लोग मारे गए थे। बस की क्षमता से करीब दोगुने यात्री उस में बस में सवार थे।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तानTue, 5 Nov 2024 09:49 AM
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उत्तरखंड के अल्मोड़ा में हुए बस हादसे ने वर्ष 2018 के धूमाकोट हादसे के जख्मों को फिर से हरा कर दिया। राज्य गठन के बाद से अब तक का सबसे बड़ा बस हादसा माने जाने वाले धूमाकोट बस हादसे में 48 लोगों की जान चली गई थी।

आज छह साल बाद यह दूसरा मौका है जब मर्चुला में बस हादसे ने 36 लोगों की जिंदगी लील ली। ओवरलोडिंग, तेज रफतार और ड्राइवर की लापरवाही उत्तराखंड में सडक हादसों के लिए सबसे प्रमुख कारण हैं।

शहरी क्षेत्रों में छोटी कमियों पर वाहनों का चालान और सीज करने वाला परिवहन विभाग पहाड़ों के दुर्गम क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा की ओर से आंखे मूंदे हुए हैं। जब पर्वतीय क्षेत्रों में कोई बड़ा हादसा होता है तभी विभाग की नींद टूटती है।

सोमवार को अल्मोड़ा के मार्चुला में हुए सड़क हादसे से एक बार फिर पौड़ी गढ़वाल के धुमाकोट में हुए एक जुलाई 2018 के दर्दनाक बस हादसे के जख्मों को कर दिया है। इस हादसे में 48 लोग मारे गए थे। बस की क्षमता से करीब दोगुने यात्री उस में बस में सवार थे।

इसी प्रकार आज मार्चुला में हुए हादसे में भी यही बात सामने आई है। 42 सीटर बस में बैठे यात्रियो की संख्या 60 से ज्यादा बताई गई है। धुमाकोट हादसे के बाद कुछ समय तक परिवहन विभाग सक्रिय होकर वाहनों की जांच करता रहा।

लेकिन कुछ दिनों बाद अधिकारी-कर्मचारी हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए। धुमाकोट हादसे के बाद 10 और बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 10 से लेकर 22 लोगों की मौत हुई है। इन ज्यादातर हादसों में भी ओवर लोडिंग किसी ने किसी रूप में पाया गया।

सूत्रों के अनुसार मार्चुला की घटना में परिवहन विभाग को शुरूआती स्तर पर कुछ जानकारियां मिली है। इसमें ओवर लोडिंग तो शामिल है ही, साथ ही सडक का सकरा होना और क्रश बैरियर का अभाव भी सामने आया है।

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही है हादसों की संख्या

वर्ष हादसे मौत घायल

2018 1418 1047 1571

2019 1353 868 1459

2020 1041 674 854

2021 1405 820 1091

2022 1674 1042 1613

2023 1691 1054 1488

परिवहन विभाग के स्तर पर लगातार जांच अभियान चलाए जाते हैं। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है। आज हादसे के बाद प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। सभी अधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में वाहनों की जांच को नियमित रूप से जारी रखने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।

सनत कुमार सिंह, संयुक्त परिवहन आयुक्त

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