उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ने जा रही महंगी की मार, इतने फीसदी तक बढ़ेंगे रेट
- उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने वाली है। बिजली के दामों में इजाफा होने जा रहा है। कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने बताया कि यूजेवीएनएल की ओर से सुनवाई को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
बिजली उपभोक्ताओं पर 2500 करोड़ का वित्तीय भार पड़ने जा रहा है। यूजेवीएनएल ने मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना दो से जुड़े मामले में अपटेल के आदेश तत्काल लागू कराने को दबाव बना दिया है।
यूजेवीएनएल ने इस पूरे मामले में विद्युत नियामक आयोग के स्तर पर जनसुनवाई किए जाने पर ही सवाल उठा दिए हैं। पत्र लिख कर साफ किया है कि उच्च कोर्ट के फैसले को सीधे लागू किया जाना है। उस पर सुनवाई नहीं हो सकती।
अपटेल के फैसले पर आयोग ने एक अक्तूबर को जनसुनवाई रखी है। अपटेल के फैसले को सामने रखा जाएगा। इस फैसले का क्या प्रभाव आम जनता पर पड़ेगा, उसकी जानकारी दी जाएगी।
आम जनता समेत उद्योग जगत और व्यापारियों से उनकी राय जानी जाएगी। इस सुनवाई से पहले यूजेवीएनएल ने आयोग को लिखे पत्र में साफ किया कि इस मसले पर आयोग पूर्व में सुनवाई करने के साथ ही फैसला भी दे चुका है।
आयोग के इसी फैसले को अपटेल में चुनौती दी थी। अपटेल ने आयोग के फैसले को पलट दिया था। ऐसे में अपटेल के उसी फैसले पर दोबारा सुनवाई का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि सुनवाई के बावजूद आयोग को हर हाल में अपटेल के फैसले को लागू कराना है।
कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने बताया कि यूजेवीएनएल की ओर से सुनवाई को लेकर सवाल उठाए गए हैं, पूरे मामले को जनता के सामने रखना जरूरी है। इसीलिए एक अक्तूबर को होने वाली सुनवाई यथावत रहेगी।
20 प्रतिशत तक महंगी होगी बिजली
अपटेल का फैसला लागू हुआ तो बिजली 20 प्रतिशत तक महंगी हो जाएगी। क्योंकि इस फैसले से यूजेवीएनएल को इक्विटी के 351 करोड़ मुनाफे के साथ 851 करोड़ रुपए के रूप में मिलेंगे। इसके साथ ही 2008 से पूरे पैसे पर ब्याज और रिटर्न ऑफ इक्विटी के रूप में 1600 करोड़ से अधिक और मिलेंगे। इस तरह करीब 2500 करोड़ रुपए यूजेवीएनएल को यूपीसीएल से टैरिफ के रूप में मिलेंगे। ये टैरिफ सीधे तौर पर बिजली दरों को प्रभावित करेगा।
किस्तों में राहत संभव
इस पूरे मामले में एक रास्ता, पूरे 2500 करोड़ के पैसे को एक साथ वसूलने की बजाय किस्तों में भी वसूलने का विकल्प हो सकता है। ताकि आम जनता पर एक साथ 2500 करोड़ का भार न पड़े। एक विकल्प आयोग की ओर से अपटेल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी खुला है।
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