केदारनाथ उपचुनाव में BJP-कांग्रेस का पुराने चेहरे पर दांव, 2017 के बाद आशा-मनोज के बीच फिर टक्कर
- बीजेपी की आशा नौटियाल जहां पार्टी की पुरानी कार्यकर्ता हैं वहीं कुलदीप और ऐश्वर्या का नाता हाल ही में पार्टी से जुड़ा है। केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस से मनोज रावत प्रत्याशी बने हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरों पर दांव लगाया है। बदरीनाथ में हार से सबक लेते हुए भाजपा ने इस बार नए के बजाए पुराने चेहरे आशा नौटियाल पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस की ओर से कई दावेदारों को पछाड़कर मनोज रावत तीसरी बार विधानसभा के दंगल में उतरने जा रहे हैं।
भाजपा ने बदरीनाथ में हार से सबक लेते हुए केदारनाथ उपचुनाव में नए की बजाए पुराने चेहरे पर दांव खेलना उचित समझा। इसी वजह से आशा नौटियाल की दावेदारी कुलदीप और ऐश्वर्या पर भारी पड़ गई। केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा के टिकट के तीन प्रमुख दावेदार थे। जिसमें आशा नौटियाल, कुलदीप रावत और ऐश्वर्या रावत शामिल हैं।
आशा नौटियाल जहां पार्टी की पुरानी कार्यकर्ता हैं वहीं कुलदीप और ऐश्वर्या का नाता हाल ही में पार्टी से जुड़ा है। कुलदीप जहां पिछले दो चुनावों में निर्दलीय लड़कर अपनी ताकत दिखा चुके हैं वहीं दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की बेटी होने की वजह से ऐश्वर्या रावत की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी।
लेकिन पार्टी हाईकमान ने टिकट पर फैसला लेते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुरानी कार्यकर्ता पर भरोसा जताना उचित समझा है। विदित है कि बदरीनाथ उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से विधायकी छोड़ पार्टी में आए राजेंद्र भंडारी को टिकट दे दिया था। लेकिन मतदाताओं को पार्टी का यह निर्णय पसंद नहीं आया और उन्हें हार का मुह देखना पड़ा।
आशा दो बार रह चुकीं केदारनाथ की विधायक
आशा नौटियाल दो बार केदारनाथ की विधायक रह चुकी हैं। भाजपा के टिकट पर 2002 और 2007 में लगातार चुनाव जीती हैं। 2012 में भी भाजपा ने इन्हें टिकट दिया लेकिन चुनाव हार गई थीं। 2017 में टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय मैदान में उतर गई थी। हालांकि बाद में फिर भाजपा में वापसी हुई और पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वर्तमान में भी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं।
दबंग के साथ सरल व्यवहार ने की मनोज की राह आसान
केदारनाथ विधानसभा के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए मनोज रावत ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी। इस बार कई दावेदारों को पछाड़कर मनोज तीसरी बार विधानसभा के दंगल में कूदने जा रहे हैं।
मनोज अपनी दबंग छवि के साथ सरल व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। वर्ष 2022 के चुनाव में हार के बाद भी अपने क्षेत्र में उनकी लगातार सक्रियता ने भी उन्हें अन्य दावेदारों से आगे कर दिया।एक दिन पहले ही उत्तराखंड में जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में मनोज जब कांग्रेस भवन से प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
उस वक्त उनके साथ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल, उप नेता प्रतिपक्ष भवन कापड़ी बगल में बैठे नजर आए थे। पूर्व मंत्री हरक भी इस कांफ्रेंस में मौजूद थे, हरक के भी केदारनाथ से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। ऐसे में पार्टी की ओर से मनोज का चुनाव मैदान में उतारने के एक दिन पहले ही संकेत दे दिए गए थे।
कई दावेदारों को पछाड़ा : केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस में कई दावेदार थे, जिसमें पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, जिला अध्यक्ष कुंवर सिंह सजवाण, लक्ष्मण रावत जैसे नामों के साथ कुल 13 नाम शामिल थे।
2017 के बाद आशा और मनोज में फिर से टक्कर
केदारनाथ विधानसभा सीट का उपचुनाव अब दिलचस्प हो गया है। वर्ष 2017 के बाद एक बार फिर से दोनों पूर्व विधायक आशा नौटियाल और मनोज रावत आमने-सामने हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि वर्ष 2017 में आशा ने यह चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा था और मीडिया की दुनिया से निकल सियासत में कूदे मनोज कांग्रेस के टिकट पर लड़े और अप्रत्याशित रूप से जीत भी गए।
दोनो नेताओं के आमने-सामने होने से अब सभी की नजर केदार घाटी के मतदाताओं के मूड को भांपने में लग गई है। वर्ष 2022 के चुनाव में भाजपा से सीट गंवा बैठे मनोज के सामने दोबारा वापसी करने की चुनौती हैं। वही आशा के पास हाईकमान के फैसले को सही साबित करने और 2017 की हार का बदला लेने का अवसर है।
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