कहां छिप गया लखनऊ में दहशत फैलाने वाला बाघ? पकड़ने के लिए खीरी से बुलाए गए दो हाथी
- राजधानी लखनऊ में पिछले एक महीने से एक बाघ ने दहशत फैला रखी है। बाघ की दहशत के चलते लोगों का घरों से निकलना और खेतों पर जाना तक बंद हो गया है। बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने जाल बिछाया लेकिन वह भी नाकाम रहा। अब बाघ ने अपनी लोकेशन ही बदल ली है।
यूपी की राजधानी लखनऊ में पिछले एक महीने से एक बाघ ने दहशत फैला रखी है। बाघ की दहशत के चलते लोगों का घरों से निकलना और खेतों पर जाना तक बंद हो गया है। बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने जाल बिछाया लेकिन वह भी नाकाम रहा। दिन पर दिन बाघ अपनी लोकेशन को बदल रहा है। गुरुवार को एक बार फिर बाघ के पद्चिह्न मिले हैं। वन विभाग की टीम ने दहशत का पर्याय बन चुके बाघ को पकड़ने के लिए इस बार दुधवा की ओर रुख किया है। बाघ को पकड़ने के लिए जो अभियान चलाया गया है उसमें दुधवा की दो हथिनियों को लखनऊ बुलाया गया है जो बाघ को रेस्क्यू करने में मददगार साबित होंगी। दुधवा की हथिनी सुलोचना और डायना लखनऊ के लिए रवाना हो गई हैं। यह दोनों बाघ को घेरने में एक्स्पर्ट मानी जाती है जिससे बाघ को ट्रेंकुलाइज किया जा सकता है। शुक्रवार की दोपहर तक इनके पहुंचने की संभावना है।
40 बीघे में फैला है रहमानखेड़ा का जंगल
मीठे नगर के जंगल में ज्यादा गतिविधि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमान खेड़ा के 40 बीघे में फैले जंगल और पंद्रह किमी. के दायरे में संस्थान सहित आसपास के गांव में बाघ के चहलकदमी से ग्रामीणों में खौफ बरकरार है। एक महीने बीतने को है, ऐसे में दहशत का पर्याय बन चुके बाघ के जंगल में आने जाने वाले मार्गों को चिह्नित कर लिया गया है। दिन और रात के समय बाघ रहमान खेड़ा जंगल में लगी लोहे की जाली के नीचे से निकलकर बेहता नाला के किनारे होते हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में निकल जाता है और फिर वापस आकर दिन में जंगल की घनी झाड़ियों में आराम करता है। दिन में ज्यादातर बाघ की गतिविधियां जंगल के अंदर और जंगल से सटे मीठे नगर के जंगल में पाई जा रही हैं।
रेलवे लाइन क्रॉस कर बाघ जंगल में चला गया डीएफओ डॉ. सितांशु पांडेय ने बताया कि बुधवार सुबह सात बजे संस्थान के अंदर जाली के किनारे नाले की ओर बाघ के पगचिह्न पाए गए हैं। नाले के किनारे से होते हुए रेलवे लाइन क्रॉस कर बाघ जंगल में चला गया। डब्ल्यूटीआई के सदस्यों और प्राणिउद्यान के डॉक्टरों ने पुष्टि की है। हरदोई की संडीला रेंज और सीतापुर की सिधौली रेंज के स्टाफ के द्वारा आसपास के ग्रामीणों को सतर्क किया और बचाव के उपाय बताए।
खेत में भी दिखा जंगली जानवर, दशहत में किसान
इटौंजा के सिंघामऊ गांव में शाम को किसान जयपाल पत्नी बिंदेश्वरी के साथ खेत में रखवाली करने गया, तभी दूर से एक जंगली जीव को देखा डर गया। उसे देखकर कुत्ते भी भागने लगे। बुधवार सुबह वन विभाग को सूचना दी। वन विभाग के कर्मी जमालुद्दीन ने किसान के खेत में पगचिह्न को देखा, जहां पगचिह्न ग्रामीणों की भीड़ में रौंद जाने से निशान धूमिल पड़ गए। इस वजह से वन विभाग कर्मी जंगली जानवर होने की पुष्टि नहीं कर सके।
नए मचान के पास पड़वा बांधकर कर रहे निगरानी
डीएफओ ने बताया कि बाघ के ज्यादातर गतिविधियों वाले इलाके में मचान से निगरानी की जा रही थी। उसी से सौ मीटर दूर दूसरी मचान तैयार हो गयी है। मचान के पास पड़वे बांधकर निगरानी की जा रही है। इसी दोनों मचानों के आसपास बाघ की सबसे ज्यादा पगचिन्हो सहित गतिविधियां पाई गई हैं।
2012 में भी बाघ को पकड़ने के लिए हाथियों का लिया गया था सहारा
लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में बाघ की चहलकदमी आए दिन देखने को मिलती है, लेकिन लखनऊ में बाघ की दहशत लोगों के लिए आफत बन गई है। साल 2012 में भी रहमानखेड़ा के जंगलों में बाघ देखा गया था। रहमानखेड़ा में लगभग 100 हेक्टेयर जंगली हिस्सा है। पहले तो पदचिह्न देखकर तेदुंआ होने की आशंका जताई थी, लेकिन जब बाघ की जानकारी हुई तो वन विभाग की टीम ने में खलबली मच गई। बाघ उस दौरान तीन माह तक जंगलों में रुका था। वन विभाग की टीम ने हाथी पर सवार होकर कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया था इसके बाद ही बाघ को पिंजरे में कैद किया जा सका था।
बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा की हथिनी सुलोचना, डायना लखनऊ के लिए रवाना
लखीमपुर खीरी। जंगल से निकलकर एक टाइगर लखनऊ के रहमानखेड़ा पहुंच गया है। बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ रेंज के अधिकारी रेस्क्यू आपरेशन चला रहे हैं पर बाघ उनकी पकड़ में नहीं आ रहा है। करीब एक माह से आपरेशन चल रहा है। आपरेशन में निघासन व लखीमपुर के बफरजोन के कर्मचारी भी लगाए गए हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। बाघ कभी रहमानखेड़ा में तो कभी उससे आगे दिखाई देता है। बाघ की लोकेशन लगातार बदलने रहने से पिजड़ा आदि लगाने का काम भी नहीं हो पा रहा है। तमाम प्रयास के बाद भी बाघ के पकड़ में न आने के बाद अब उसे ट्रेंकुलाइज करके पकड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके लिए दुधवा से दो हाथियों को भेजने का अनुरोध किया गया था। दुधवा के निदेशक ललित वर्मा ने बताया कि दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन ने गुरुवार को मादा हाथी सुलोचना व डायना को लखनऊ के लिए रवाना कर दिया। यहां से दोनों हाथियों को ट्रक से भेजा गया है जिनके देर शाम तक लखनऊ पहुंच जाने की उम्मीद है।