लखनऊ में बाघ की दहाड़, विधानसभा से 22 KM दूर नीलगाय का शिकार, कैमरे और पिंजरे लगाए गए
- लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा से लगभग 22 किलोमीटर दूर काकोरी इलाके में बाघ की दहाड़ सुनाई दी है। वन विभाग ने बाघ के पैर के निशान की जांच के बाद कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया है। सीसीटीवी और पिंजरे लगा दिए गए हैं।
लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा से लगभग 22 किमी दूर काकोरी थाना क्षेत्र के रहमानखेड़ा के जंगलों में बाघ की दहाड़ सुनाई देने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है। विभाग ने बाघ के पैर के निशान (पग मार्क) की जांच के बाद 10 किलोमीटर के दायरे में कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया है। बाघ ने बुधवार को उसे पकड़ने के लिए रखे गए पिंजरे के पास नीलगाय का शिकार कर लिया। बाघ को ट्रैक करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। पकड़ने के लिए शिकार के साथ पिंजरे भी लगाए गए हैं। 2012 में भी इस इलाके में बाघ मिला था जिसे पहले तेंदुआ माना गया था।
रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (Central Institute for Subtropical Horticulture Department) के ब्लॉक 2 में बाघ की दहाड़ सुनाई पड़ी थी। इसके बाद पास के जंगल में बुधवार को पिंजरा लगाया गया था जहां अहले सुबह बाघ ने एक नीलगाय का शिकार कर लिया। गुरुवार की सुबह नीलगाय का क्षत-विक्षत शव देखकर संस्थान के कर्मचारियों ने सूचना दी। करझन और रहमानखेड़ा के जंगल में मिले पग मार्क से हिंसक जानवर (बाघ) होने की पुष्टि हुई है। हालांकि अभी तक जंगल में लगे कैमरों में हिंसक जानवर कैद नहीं हुआ है। बाघ द्वारा नीलगाय के शिकार से ग्रामीणों में दहशत बढ़ गई है। संस्थान में मजदूरों को काम करने से रोक दिया गया है।
खेत में बाघ की सूचना पर वन विभाग और पुलिस टीम दौड़ी, बाघ चकमा देकर भागा
क्षेत्रीय वन पदाधिकारी सोनम दीक्षित ने बताया कि रहमानखेड़ा और करझन में हिंसक जानवर के पग मार्क दिखने के बाद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के खेतों में बुधवार देर रात वन विभाग ने पिंजरा लगाया था। सुबह टाइगर ने पिंजरे के पास ही नीलगाय का शिकार कर लिया। संस्थान में बाघ की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए सात जगह कैमरे लगाए गए है। देर शाम संस्थान में बेल वाले ब्लॉक के पीछे झाड़ियों में दूसरा पिंजरा भी लगाया है। इसमें बाघ के शिकार के लिए बकरी बांधी गई है।
बाघ ने गाय को बनाया निवाला, किसानों में दहशत
जिला वन पदाधिकारी शीतांशु पांडेय ने बताया कि मिले पग मार्क की जांच में पदचिह्न 13 सेमी से अधिक के पाए गए हैं, जो बाघ के पंजों के होते हैं। आसपास के इलाकों में लगभग दस किलोमीटर तक कॉम्बिंग की जा रही है। बाघ की सबसे ज्यादा चहलकदमी संस्थान के ब्लॉक में हुई है। आज भी नए पग मार्क मिले हैं। संस्थान में सात ट्रैप कैमरा और दो पिंजरे लगाए गए हैं।
संस्थान में सुनाई पड़ी बाघ की दहाड़
संस्थान में काम करने वाले मजदूरों के अनुसार बुधवार देर शाम और गुरुवार की सुबह बाघ की दहाड़ सुनाई पड़ी थी। इसके बाद संस्थान के कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई। बाघ की दहाड़ और नीलगाय के शिकार के बाद रहमानखेड़ा, उलरापुर, मंडौली, बुधड़िया, करझन सहित आसपास के गांवों के लोग दहशत में हैं।
2012 में भी पहले तेंदुआ माना गया, बाद में बाघ निकला
2012 में रहमानखेड़ा के जंगलों में इसी तरह के पग मार्क मिलने पर तेंदुआ होने की आशंका बाद में गलत निकली। आगे चलकर पता चला कि वो बाघ है। बाघ तब तीन माह तक जंगलों में रुका था। वन विभाग की टीम ने हाथी पर सवार होकर कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया था जिसके बाद बाघ को पिंजरे में कैद किया जा सका था। रहमानखेड़ा में लगभग 100 हेक्टेयर जंगली हिस्सा है।