लखनऊ में डेढ़ घंटे आंख के सामने रहा बाघ, ट्रैंकुलाइजर गन नहीं चला पाई वन विभाग की टीम
- लखनऊ के लोगों में दहशत का पर्याय बना बाघ वन विभाग की टीम के सामने डेढ़ घंटे तक रहा। आंख के सामने होने के बाद भी बाघ को टीम ट्रैंकुलाइजर गन बेहोश नहीं कर पाई। देखते ही देखते बाघ विशेषज्ञों की आंखों से ओझल हो गया।
लखनऊ के लोगों में दहशत का पर्याय बना बाघ वन विभाग की टीम के सामने डेढ़ घंटे तक रहा। आंख के सामने होने के बाद भी बाघ को टीम ट्रैंकुलाइजर गन बेहोश नहीं कर पाई। देखते ही देखते बाघ विशेषज्ञों की आंखों से ओझल हो गया। बाघ देर तक पेड़ की आड़ में गाय का बचा हुआ हिस्सा खा रहा था। वन विभाग की कॉम्बिंग टीम देखती रही लेकिन बाघ को ट्रैंकुलाइर गन से शॉट देकर बेहोश न कर पाई। बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए तैनात की गई तीन टीमें खाली हाथ लौटीं।
इस दौरान बाघ एक दिन पहले जिस गाय का शिकार किया था उसका शेष हिस्सा भी आ कर खा गया। दरअसल, रहमान खेड़ा संस्थान के जंगल से निकलकर बाघ शुक्रवार रात बुधड़िया गांव पहुंच गया था। यहां किसान महेश रावत के आम के बाग में उसने गाय का शिकार किया था। शनिवार की रात दोबारा बाघ उसी जगह आया और गाय के शव को पांच मीटर खींच कर एक पेड़ की आड़ में ले गया। वहां उसने अपनी भूख मिटाई।
घेराबंदी की, बाघ आया लेकिन पकड़ न सके
वन विभाग की टीम को अंदाजा था कि बाघ ने जहां शिकार किया है, वापस जरूर आएगा। इसीलिए गाय के अवशेष की घेराबंदी कर तीन विशेषज्ञ आसपास मौजूद थे। अंदाजा सही निकला और बाघ अवशेष खाने के लिए पहुंच गया लेकिन घुप अंधेरा होने की वजह से वन विभाग की टीम कुछ न कर पाई। विशेषज्ञों के अनुसार बाघ शिकार के आसपास काफी देर तक मंडराता रहा। सुबह चार बजे के आसपास वन विभाग की दूसरी टीम पहुंची तब तक बाघ पानी में कूदकर आगे घनी झाड़ियों में ओझल हो गया। इस दौरान तीनों विशेषज्ञ बाघ को ट्रैंकुलाइज नहीं कर पाए।
रात एक बजे दिखा बाघ, जंगल में लौट गया
डीएफओ डॉ सितांशु पांडेय ने बताया कि शुक्रवार रात को मृत गाय के पास ट्रांसपोर्टिंग पिंजरा और ट्रैप कैमरा लगाया गया था। साथ ही वेटेनरी डॉक्टर नासिर, डॉ. बृजेंद्र मणि यादव व डॉ. दक्ष वन विभाग की टीम के साथ निगरानी कर रहे थे। देर रात लगभग एक बजे बाघ मृत गाय के बचे हिस्से को खाने आया था। शव को पांच मीटर खींचकर ले गया। रात के अंधेरे की वजह से टीम बाघ को ट्रैंकुलाइज नही कर सकी। सुबह होने का इंतजार करते हुए चार बजे दूसरी टीम के आने पर गाड़ियों की आवाज से बाघ झाड़ियों में छुप गया। डब्लूटीआई की टीम ने थर्मल ड्रोन कैमरे से निगरानी की लेकिन बाघ कहीं नहीं दिखा। आसपास मिले पगचिन्हों से बाघ के वापस रहमान खेड़ा के जंगल में जाने की पुष्टि हुई है।
पांच ट्रैप कैमरे और एक नए मचान से हो रही निगरानी
डीएफओ ने बताया कि रहमान खेड़ा के जंगल सहित मीठे नगर में पांच नए ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। एक नया मचान बनवाकर निगरानी की जाएगी। अब तक कुल 17 कैमरों की मदद से पांच टीमें निगरानी कर रही हैं। बुधड़िया गांव में रखा गया पिंजरा हटवा लिया गया है।