Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Was UP ACS Manoj Singh removed ahead of retirement for nod to three slaughterhouses

तीन कसाईखाना के चक्कर में रिटायरमेंट से पहले बलि चढ़ गए अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह?

  • उत्तर प्रदेश में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मनोज सिंह को रिटायरमेंट से 51 दिन पहले हद से हटाकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी की नौकरशाही में सनसनी फैला दी है। हर अफसर जो गलत करता है वो सहमा-सहमा है।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टाइम्स, गौरव सैगल, लखनऊWed, 13 Nov 2024 03:48 PM
share Share

उत्तर प्रदेश में सरकार चलाने का वहम पाल बैठे अफसरों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने रविवार को तब सनसनी फैला दी जब वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मनोज सिंह को रिटायरमेंट से सात सप्ताह पहले पद से ना सिर्फ हटा दिया गया बल्कि बिना पोस्टिंग वेटिंग में डालकर शंट कर दिया गया। गलत काम करने वाले नौकरशाहों में हड़कंप है कि पता नहीं कब उनका नंबर आ जाए। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अफसर पता कर रहे हैं कि सर्विस के आखिरी मोड़ पर मनोज सिंह सरकार के निशाने पर कैसे आ गए। चर्चा है कि यूपी में एक नया कसाईखाना खोलने और दो पहले से चल रहे बूचड़खानों को बढ़ाने की मंजूरी देने के चक्कर में मनोज सिंह बलि चढ़ गए।

1989 बैच के आईएएस अफसर मनोज सिंह जून 2021 से वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग संभाल रहे थे। सरकार ने मनोज सिंह पर कार्रवाई के साथ ही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो सीनियर अफसरों को भी निलंबित किया है। नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार कर तीन कसाईखानों को चालू करने और विस्तारित करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के आरोप में दोनों अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। प्रदूषण बोर्ड के सस्पेंड अधिकारियों में अनिल कुमार माथुर और विवेक राय शामिल हैं।

रिटायरमेंट से 51 दिन पहले IAS मनोज सिंह हुए प्रतीक्षारत, 2 अफसर सस्‍पेंड; योगी सरकार का ऐक्‍शन

उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ सरकार बनी है तब से कसाईखाना बहुत ही संवेदनशील मुद्दा रहा है क्योंकि सरकार मवेशियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज देखे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि मनोज सिंह की एसीएस पद से अचानक विदाई के पीछे तीन कसाईखानों को मिली मंजूरी है। इनमें दो कसाईखाना उन्नाव जिले की एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और अल हक फूड्स कंपनी की है। तीसरा कसाईखाना गाजियाबाद का अल नासिर एक्सपोर्ट्स का है।

नौकरशाही में इस मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि बिना तय प्रक्रिया का पालन किए बूचड़खानों को मंजूरी देने की वजह से मुख्यमंत्री काफी नाराज थे। इन तीन कसाईखानों में एक नया बूचड़खाना बनने का प्रस्ताव था जबकि दो पहले से चल रहे कसाईखानों को और बड़ा करने की योजना थी।

यूपी सरकार का ऐक्शन जारी, एसीएस मनोज सिंह के बाद अब प्रधान निजी सचिव राजीव सिंह भी हटाए गए

ब्यूरोक्रेसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ऐसे मामलों में सबसे पहले शहरी विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव या सचिव की अध्यक्षता वाली समिति को प्रस्ताव भेजा जाता है। समिति प्रस्तावों पर पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन से राय मांगती है। लेकिन इन तीन कसाईखानों के मामले में ऐसा कोई प्रस्ताव समिति के पास भेजा ही नहीं गया। सूत्रों ने बताया कि अगस्त-सितंबर में इन कसाईखानों के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। योगी सरकार की नजर में यह मामला अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में आ गया था और तब से ही अंदर-अंदर हलचल मची थी।

मनोज सिंह ने खुद को बचाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली

एसीएस मनोज सिंह ने इन तीन कसाईखानों को मंजूरी को लेकर यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता अनिल कुमार माथुर और मुख्य पर्यावरण पदाधिकारी विवेक राय से 14 अक्टूबर को स्प्ष्टीकरण भी मांगा था। ब्यूरोक्रेसी में इस मामले की खबर रखने वाले बताते हैं कि यह मनोज सिंह के द्वारा खुद को इस मामले से अलग दिखाने की कोशिश थी लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली। मनोज सिंह ने ये चिट्ठी तब लिखी जब उनसे चार दिन पहले 10 अक्टूबर को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कसाईखानों को मंजूरी में गड़बड़ी को पकड़ा था।

अगला लेखऐप पर पढ़ें