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ग्रहण में गुरुजन: सेवा के 30 बरस, अब इंतजार को भी लगा तीसवां साल

वाराणसी के 90 वर्षीय चिकित्सक डॉ. वाईएन गुप्ता और डॉ. सरोज गुप्ता ने 30 साल तक चिकित्सा क्षेत्र में सेवा की। रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए 30 साल का इंतजार कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता के अनुसार, उनके जैसे...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSat, 14 Sep 2024 03:47 PM
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वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। डॉ. वाईएन गुप्ता और डॉ. सरोज गुप्ता। 90 वर्षीय दंपती बनारस के साथ पूर्वांचल के भी जानेमाने चिकित्सक। वे चिकित्सा जगत के भी सम्मानित शिक्षक रहे हैं। बीएचयू के पेंशन अन्याय के शिकार हुए 130 वरिष्ठ गुरुजनों में यह दंपती भी शामिल हैं। चलने-फिरने में असमर्थ डॉ. वाईएन गुप्ता मुस्कुराते हुए कहते हैं-‘हमने 30 साल पढ़ाई की, डॉक्टर बनकर 30 साल समाज की सेवा की, नए डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया। उसके बाद पेंशन का इंतजार कर रहे हैं। इस इंतजार को भी तीसवां साल लग गया है।

डॉ. गुप्ता ने 1964 में बीएचयू के पैथोलॉजी विभाग में डॉक्टर के रूप में सेवा शुरू की। उनसे एक साल पहले से पत्नी डॉ. सरोज गुप्ता वहां कार्यरत थीं। दंपती ने याद किया कि शिक्षण और लैब के काम में वे खुद मौजूद होते थे। पूरा-पूरा दिन बीएचयू में ही निकल जाता था। बोले-‘तब यह नहीं सोचा कि रिटायरमेंट के बाद ऐसी कोई स्थिति जीवन में आ सकती है जब आत्मसम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। डॉ. वाईएन गुप्ता कहते हैं कि बनारस का कोई ऐसा नामी डॉक्टर नहीं जिसे हमने पढ़ाया न हो। वह 1994 में रिटायर हुए जबकि उनकी पत्नी 1993 में रिटायर हो चुकी थीं।

डॉ. सरोज गुप्ता ने मजाकिया लहजे में बताया-‘रिटायरमेंट के बाद हमने प्राइवेट लैब तैयार कर ली जिससे कभी खाने के लाले नहीं पड़े, वरना इस हाल में तो भीख मांगने की नौबत आ सकती थी। फिर गंभीरता झलकी- ‘लैब का काम अब बहुत बढ़िया तो नहीं चलता लेकिन खैर, अब हमारी उम्र भी तो बहुत नहीं बची।

डॉ. गुप्ता काफी कमजोर हो चुके हैं, कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। इकलौता बेटा विदेश में है। दंपती की देखरेख के लिए उनके शिष्य डॉ. आनंद कुमार उनके साथ ही रहते हैं। शिष्या डॉ. अर्चना भदौरिया भी डॉक्टर दंपती की संबल बनी हुई हैं।

15 हजार तनख्वाह थी, 15 लाख मिला सीपीएफ

पेंशन अन्याय के शिकार गुरुजन को मौकापरस्त और चालाक बताने वालों के लिए डॉ. वाईएन गुप्ता कहते हैं कि 1994 में रिटायर होने के बाद 10 महीने का सत्रलाभ मिला। घर जाने के महीने में तनख्वाह मिली 15 हजार रुपये और सीपीएफ की कुल राशि मिली 15 लाख रुपये। जिन्हें भी लगता है कि ये शिक्षक झूठ बोल रहे हैं या चालाकी कर रहे हैं तो वे 15 लाख रुपये में 30 बरस का जीवन बिताकर दिखाएं।

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