UPPCS Protest: यूपी में 23 साल बाद लोक सेवा आयोग का सत्र शून्य होने की नौबत, 2001 में हुआ क्या था
पीसीएस और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षाएं एक से अधिक दिन में कराने के विरोध के कारण 23 साल बाद ऐसे हालात बन रहे हैं कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का सत्र शून्य हो सकता है।
पीसीएस और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षाएं एक से अधिक दिन में कराने के विरोध के कारण 23 साल बाद ऐसे हालात बन रहे हैं कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का सत्र शून्य हो सकता है। आयोग के बाहर जिस तरह से हजारों छात्र डटे हैं उससे सात और आठ दिसंबर को पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा कराना मुश्किल लग रहा है। अगर ऐसा होता है तो आयोग जैसी संवैधानिक और प्रतिष्ठित संस्था के लिए यह काला अध्याय साबित होगा।
इससे पहले साल 2001 में आयोग ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा तो करा ली थी लेकिन उस साल परिणाम घोषित नहीं कर सका था। उस साल पीसीएस प्री में स्केलिंग लागू करने के खिलाफ एक अभ्यर्थी धनंजय सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इसके चलते एक साल तक लाखों छात्रों को परिणाम का इंतजार करना पड़ा था। आयोग ने साफ कर दिया है कि सात और आठ दिसंबर को पीसीएस 2024, जबकि 22 व 23 दिसंबर को आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाएं कराई जाएंगी।
वहीं प्रतियोगी छात्रों ने भी आयोग की नई व्यवस्था को मानने से साफ इनकार कर दिया है। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके चलते परीक्षा की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं। आयोग को परीक्षाओं के प्रश्नपत्र छपवाने से लेकर अन्य व्यवस्थाएं करनी हैं। चूंकि 11 फरवरी को आयोजित आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का पेपरलीक हो चुका है इसलिए आयोग के अफसरों को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा। आंदोलन जल्द खत्म नहीं हुआ तो परीक्षा की तैयारियां प्रभावित होना तय है।