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UP Rain: मानसून की विदाई में देरी का बनेगा रिकॉर्ड, 25 अक्टूबर तक विदा होने का अनुमान

सितंबर के 13 दिन बीत गए लेकिन धुआंधार बारिश जारी है। यूपी के कई जिलों में तो मानसून कहर ढा रहा है। सितंबर तक विदा हो जाने वाला मानसून इस बार 25 अक्टूबर तक विदाई ले सकता है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, कानपुर, मोहम्मद आसिम सिद्दीकीSat, 14 Sep 2024 02:50 AM
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सितंबर के 13 दिन बीत गए लेकिन धुआंधार बारिश जारी है। यूपी के कई जिलों में तो मानसून कहर ढा रहा है। मौसम विज्ञानी अचरज में हैं कि इस बार मानसून की विदाई के लक्षण अभी तक नहीं दिख रहे हैं। हर साल एक सितंबर तक मानसून की विदाई शुरू हो जाती है और 25 सितंबर तक यह देश से चला जाता है। इस बार अनुमान है कि मानसून 25 अक्टूबर तक विदा होगा। यानी विदाई में रिकॉर्ड देरी होगी। कानपुर के मौसम विज्ञानियों के मुताबिक 2021 में मानसून छह अक्टूबर को विदा हुआ था। 2022 में 20 सितंबर और 2023 में 25 सितंबर को मानसून लौट गया था।

इस बार बारिश का ढर्रा बुरी तरह बदला हुआ रहा। ज्यादातर इलाकों में पॉकेट रेन (छोटे-छोटे टुकड़ों में बारिश) हुई। बादलों के छोटे-छोटे टुकड़े (सामान्य आकार 100 किमी की तुलना में आधे) बने, जिनमें घर्षण कम हुआ। इससे बादलों का गर्जन भी कम सुना गया। यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण माना जा रहा है।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस बार मानसून के देर तक टिकने की एक वजह ‘यागी’ तूफान है। दरअसल 2017 के बाद से मानसून वापसी में देरी शुरू हुई थी, जो इस बार उच्चतम स्तर पर देखी जा रही है। पिछले साल 25 सितंबर को मानसून की वापसी धीमी गति से शुरू हुई थी। दिल्ली में यह अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई थी, जो 02 सितंबर को होनी चाहिए थी। तब पूरे देश से मानसून की वापसी 19 अक्टूबर को पूरी हुई थी।

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यह होते हैं वापसी के लक्षण
मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून वापसी के कुछ मानक हैं। जैसे लगातार पांच दिनों तक बारिश की गतिविधियां बंद होनी चाहिए। निचले वायुमंडल में 5000 फीट तक एंटीसाइक्लोन (वायुमंडलीय उच्च दबाव क्षेत्र) बनना चाहिए। नमी की कमी दिखाई देनी चाहिए। आईएमडी सभी बिंदुओं के आकलन के बाद औपचारिक रूप से इसकी घोषणा करता है। इस बार अभी तक यह लक्षण नहीं दिख रहे हैं।

ला नीना अभी तटस्थ, पड़ेगी सर्दी
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक ला नीना अभी तक तटस्थ है। ऐसे में सर्दी बढ़ सकती है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेताया है कि अक्तूबर 2024 से फरवरी 2025 तक यह संभावना है कि ला नीना की प्रबलता 60 फीसद तक बढ़ जाए। इस दौरान अल नीनो के पुन: मजबूत होने की संभावना शून्य है।

सीएसएविश्वविद्यालय, मौसम विज्ञानी, डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने कहा कि मानसून की वापसी के संकेत अभी नहीं मिल रहे हैं। हालांकि तिब्बती एंटीसाइक्लोन कमजोर हो रहा है। मानसून उत्तर-पूर्व भारत की ओर खिसक रहा है। उत्तर भारत में पश्चिमी हवाओं का प्रभाव बढ़ गया है। मानसून की पूरी तरह विदाई अनुमानित 25 अक्टूबर तक होगी, जो रिकार्ड विलंब से होगी।

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