1954 के कुंभ में मची थी भगदड़, बिजली तार पर झूलकर बचा था एक आदमी, पढ़ें
- 1954 के कुंभ में भी भीड़ जमा हुई थी। 1954 के कुंभ में भगदड़ मची थी और एक व्यक्ति को अपनी जान बचाने के लिए तारों पर झूलना पड़ा था। पढ़ें कुंभ का ये किस्सा।
महाकुंभ 2025 में लाखों की संख्या में भक्त संगम स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। अब तक लगभग 7 करोड़ भक्त संगम में डुबकी लगा चुके हैं। मकर संक्रांति पर रिकॉर्ड भीड़ पहुंचने पर प्रशासन को सुरक्षा में काफी समस्या का सामना करना पड़ा। ऐसा ही 1954 के कुंभ में भी हुआ था। 1954 के कुंभ में भगदड़ मची थी और एक व्यक्ति को अपनी जान बचाने के लिए तारों पर झूलना पड़ा था। पढ़ें कुंभ का ये किस्सा।
वर्ष 1954 की 3 फरवरी का दिन था। वह साल प्रयाग के कुंभ मेले का दिन मौनी अमावस्या स्नान का मुहूर्त था। फोटो जर्नलिस्ट एन. एन. मुखर्जी कैमरे के साथ मेले में ही मौजूद थे। 'नीपू दा' के रूप में पहचान रखने वाले मुखर्जी संगम पुलिस चौकी के निकट बांध के पास एक टावर पर फोटो के एंगल ढूंढ़ रहे थे। उसी दौरान उनकी नजर बांध पर कुछ दूर ढाल के पास एक के ऊपर एक गिरते हुए लोगों पर पड़ी।
नीपू दा वहां से उस हादसे को क्लिक कर पाते कि एक व्यक्ति बिजली के खंबे पर चढ़कर तार के सहारे बचकर निकलने की कोशिश करने लगा। घटना स्थल एकदम पास में ही था। वे दौड़कर वहां जाते कि जमीन पर पड़े कुछ लोगों से वे भी टकराए। बहरहाल, तार से लटकता वह व्यक्ति कुछ देर तक उस पर सरकता रहा। मुखर्जी उस व्यक्ति की फोटो लेने में कामयाब हो गए। इस घटना की पुष्टि बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में पत्रकार नरेश मिश्र ने भी की है। फर्क यह है कि वे तार को बिजली की जगह टेलीफोन का बताते हैं।
दोनों के कथन में फोटो लेने वाले जर्नलिस्ट का तथ्य सच लगता है। प्रयाग मेले में दिन के समय विद्युत आपूर्ति बंद रखी जाती है। ऐसे में तार को खुले हाथ पकड़ना मुमकिन था। बहरहाल, उस समय हुई भगदड़ की रिपोर्ट अगले दिन अखबारों छपी। उनमें से एक में ढेर सारी तस्वीरों के बीच तार पर झूलते व्यक्ति की फोटो भी शामिल थी।