महाकुंभ के एक शिविर में हो रही यमराज की पूजा, संगम के जल-मिट्टी से चूरू में डालेंगे यम मंदिर की नींव
- यमराज धाम की माता संजोगिता ने बताया कि चूरू में यमराज मंदिर की स्थापना करने जा रही हैं। इसके लिए गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का पवित्र जल और मिट्टी लेने आई हैं। पवित्र जल और मिट्टी को कलश में एकत्र कर लिया है और इसे ले जाकर मंदिर के नींव में डाला जाएगा।
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संगम के जल और मिट्टी से मृत्यु के देवता कहे जाने वाले यमराज के भव्य और विशाल मंदिर की नींव पड़ेगी। महाकुम्भ के सेक्टर आठ में यमराज धाम तारानगर चूरू राजस्थान नाम से लगे शिविर में मृत्यु के देवता की पूजा होती है। यमराज धाम की माता संजोगिता ने बताया कि चूरू में यमराज मंदिर की स्थापना करने जा रही हैं। इसके लिए गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का पवित्र जल और मिट्टी लेने आई हैं। पवित्र जल और मिट्टी को कलश में एकत्र कर लिया है और इसे ले जाकर मंदिर के नींव में डाला जाएगा। उसके बाद धरती के अंदर 10 हजार वर्गफीट में मंदिर का निर्माण होगा।
जमीन के गर्भ के अंदर यमराज की विशाल मूर्ति स्थापित करवाएंगी जहां पर सूर्य की रोशनी मूर्ति तक नहीं पहुंच पाएगी। उनका दावा है कि यमराज का दर्शन करने से अकाल मृत्यु का संकट कटेगा और मौत का भय कम होगा। अकाल मृत्यु की संख्या कम करने के उद्देश्य से से ही ही वो इस मंदिर का निर्माण करवाने जा रही हैं। उन्होंने बताया कि वो शिव और शक्ति स्वरूपा माता की उपासक हैं और उन्होंने ही यमराज का मंदिर बनाने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि लोग यमराज से बेवजह डरते हैं।
यमराज तो लोगों को उनके कर्म के अनुसार दंड देते हैं। लोगों को अपने गलत कर्मों से डरना चाहिए। गौरतलब है कि प्रयागराज समेत देश के कुछ हिस्सों में यम द्वितीया के दिन यमुनाजी की पूजा करने के साथ ही यमराज के पूजन की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि यम द्वितीया पर भाई-बहन एक साथ हाथ पकड़कर यमुना में स्नान करते हैं तो उनका रिश्ता अटूट रहता है और यमुना मैया भाई-बहन की यमराज से रक्षा करती हैं। इसके अलावा यमराज की पूजा का कोई विधान नहीं है।
अन्य स्थानों पर भी हैं यमराज के मंदिर
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में यमराज का मंदिर है। इसके साथ ही मथुरा में यमुना और यमराज का एक मंदिर है। इसके अलावा उत्तराखंड और तमिलनाडु में भी यमराज के मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं।