Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Prayagraj Mahakumbh Families left behind Old members 9 women waiting for family

पुण्य कमाने के बहाने अपनों ने मुंह मोड़ लिया, महाकुंभ में बुजुर्गों को छोड़ गए परिवार

  • पुण्य कमाने के बहाने कई लोगों ने अपनों से मुंह मोड़ लिया। महाकुंभ में बुजुर्गों को लेकर आए और वापस जाते समय उन्हें पीछे छोड़कर चले गए। अब सभी महिलाएं अपने परिवार के इंतजार में बैठी हैं। अधिकारियों ने कोशिश की लेकिन परिवार से संपर्क नहीं हुआ।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, प्रदीप शर्मा, प्रयागराजFri, 17 Jan 2025 07:53 AM
share Share
Follow Us on

144 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग में लगे इस बार वे के महाकुम्भ में पुण्य प्राप्ति को हर कोई लालायित है। बीते चार दिन में लगभग साढ़े पांच करोड़ स्नानार्थी आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी आए जिन्होंने कुम्भ की पवित्र धरा को भी अपनी स्वार्थ सिद्धी का माध्यम बनाया और अपने परिवार के बुजुर्गों को संगम की रेती पर छोड़कर चले गए।

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले की दुर्गापुर की 70 वर्षीया चम्मा घोष बड़े बेटे मधुसूदन घोष के साथ मकर संक्रांति के दिन संगम में डुबकी लगाने आई थीं। संगम से ट्रेन पकड़ने प्रयागराज जंक्शन पहुंचीं, तो बेटे का साथ छूट गया। पुलिसकर्मियों की मदद से मेला क्षेत्र के सेक्टर नंबर चार स्थित खोया-पाया केंद्र पहुंचीं। यहां से मधुसूदन को फोन करने पर उसका मोबाइल लगातार स्विच ऑफ बता रहा है। छोटे बेटे दयामयी घोष से बात हुई लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया।

ये भी पढ़ें:Video: रिपोर्टर के सवाल से नाराज हो गए महाकुंभ पहुंचे कांटे वाले बाबा,जड़ा तमाचा

खोया-पाया केंद्र में तीन दिन से चाकघाट, रीवा की 75 वर्षीया अरुणा रह रही हैं। अरुणा को उनके भाई ने संगम में लाकर छोड़ दिया। अरुणा ने बताया कि तीन भाइयों हीरालाल, रामसूरत और बद्रीनाथ में वह सबसे छोटी बहन हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। तीनों भाई उनके हिस्से की संपत्ति पर कब्जा करने की नीयत से पहले भी उन्हें कई बार घर से भगा चुके हैं।

इन नौ महिलाओं को अपनों का इंतजार

महाकुम्भ के पहले दो स्नान पर्वो पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति पर अत्यधिक भीड़ की वजह से 4500 लोग अपनों से बिछड़ गए। अधिकतर लोगों को खोया-पाया केंद्र व पुलिस ने उनके परिजनों से मिलवा दिया। वर्तमान में केंद्र में नौ बुजुर्ग महिलाएं रीवा की कुसुम कली मोतिहारी बिहार की चम्पा देवी, सासाराम बिहार की शांति, पटना की विमला, वीरभूमि पश्चिम बंगाल की आरोती माना, चौबीस परगना पश्चिम बंगाल की काजल दास, वर्धमान की चम्मा घोष, सोनभद्र की चिंता देवी, चाकघाट की अरुणा और सुरसरी नेपाल की रामरतन मेहता आश्रय लिए हुए हैं।

सीओ, मुनेंद्र पाल सिंह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुम्भ मेला में बिछड़े अधिकांश लोगों को उनके परिजनों से मिलवा दिया गया है। वर्तमान में नौ बुजुर्ग महिलाएं व एक वृद्ध खोया- पाया केंद्र में आश्रय लिए हुए हैं। उनके बताए गए पते के अनुसार परिजनों व संबंधित थाने से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें