डिजिटल महाकुम्भ में संस्थाएं ऑनलाइन ले रहीं दान, भंडारे के लिए भी हाईटैक तरीके से चंदा
- इस बार का महाकुम्भ दिव्य-भव्य के साथ ही डिजिटल भी है। एक ओर जहां केंद्र और प्रदेश सरकार महाकुम्भ को डिजिटल बनाने के लिए तमाम सुविधाओं को ऑनलाइन कर रही है वहीं तमाम संत-महात्मा व तीर्थ पुरोहित भी ऑनलाइन दान स्वीकार कर रहे हैं।
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इस बार का महाकुम्भ दिव्य-भव्य के साथ ही डिजिटल भी है। एक ओर जहां केंद्र और प्रदेश सरकार महाकुम्भ को डिजिटल बनाने के लिए तमाम सुविधाओं को ऑनलाइन कर रही है वहीं तमाम संत-महात्मा व तीर्थ पुरोहित भी ऑनलाइन दान स्वीकार कर रहे हैं। कई शिविरों के मंदिरों के बाहर दानपात्र पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं। अगर किसी के पास नकद नहीं है तो वो ऑनलाइन भुगतान भी कर सकता है। तमाम लोग इसका प्रयोग भी कर रहे हैं। इस बार सरकार ने पूरे महाकुम्भ के डिजिटल आयोजन पर जोर है। यही कारण है कि प्रशासन ने इस बार सभी सुविधाओं को ऑनलाइन किया है।
जैसे प्रशासनिक अफसरों के नंबर-पद, अस्पतालों की सूची, होटल रेस्टोरेंट आदि सभी जानकारी क्यूआर कोड स्कैन कर ली जा सकती है। ऐसे ही संतों ने भी व्यवस्था शुरू कर दी है। मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 में स्थित इस्कॉन के शिविर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर बनाया गया है। मंदिर के आगे दानपात्र रखा गया है और दानपात्र पर क्यूआर कोड लगाया गया है।
मंदिर में आने के बाद जो लोग कैश नहीं रखते वे कोड स्कैन कर दान कर रहे हैं। वहीं सेक्टर 18 में दंडी संन्यासी आश्रम में भी ऑनलाइन भुगतान के लिए क्यूआर कोड लगा है। सेक्टर 17 स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के शिविर के बाहर श्री गो-गौरी गोपाल सेवा संस्थान का कैंप लगा है। यहां पर भी स्कैनर है। और नीचे वॉट्सएप नंबर भी दिया गया है।
भंडारे के लिए भी ऑनलाइन दान
मंदिरों के दानपात्र के साथ ही भंडारे के लिए भी ऑनलाइन दान स्वीकार किया जा रहा है। पांटून पुल संख्या 12 पार करने के बाद शाखी ब्रिज के ठीक बगल से जब गंगा पथ पर आते हैं तो दादाजी खिचड़ी वाले का एक बैनर लगा है। जिस पर क्यूआर कोड लगा है। लोग स्कैन कर दान भी कर रहे हैं। वहीं गंगा तट पर तमाम तीर्थ पुरोहित भी ऑनलाइन भुगतान के लिए मोबाइल में यूपीआई स्कैनर दे देते हैं।