Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Prayagraj Mahakumbh Akhada keeps Strict Accounts for Dakshina received take action on irregularities

महाकुंभ पहुंचे अखाड़ों का लेखाजोखा सख्त, दक्षिणा का होता है हिसाब, गड़बड़ी पर बहिष्कृत

  • महाकुम्भ मेले में पहुंचे सनातन धर्म के रक्षक अखाड़ों के बारे में हर कोई जानना-समझना चाहता है। अखाड़ों के हिसाब-किताब के कायदे-कानून बहुत सख्त हैं। इसमें एक रुपये की हेरफेर भी संभव नहीं है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, संजोग मिश्र, प्रयागराजSun, 19 Jan 2025 12:26 PM
share Share
Follow Us on

महाकुम्भ मेले में पहुंचे सनातन धर्म के रक्षक अखाड़ों के बारे में हर कोई जानना-समझना चाहता है। अखाड़ों के हिसाब-किताब के कायदे-कानून बहुत सख्त हैं। इसमें एक रुपये की हेरफेर भी संभव नहीं है। चूंकि आश्रमों, मठ, मंदिरों से हजारों संत, महंत, शिष्य जुड़े रहते हैं, इसलिए पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाए रखने के लिए पंच परमेश्वर की निगरानी में अखाड़े की अर्थव्यवस्था की गहन निगरानी की जाती है। आश्रम के संतों को प्रतिदिन अरदास, दान-दक्षिणा से मिलने वाली रकम का शाम को हिसाब-किताब होता है।

वहीं भ्रमणशील रमता पंच को जो दक्षिणा या भेंट मिलती है उसका भी शाम को लेखा-जोखा रखा जाता है। इसके लिए आश्रमों में बकायदा वैतनिक मुनीम रखे गए हैं, जबकि जमात (रमता पंच) के साथ लिखा-पढ़ी में पारंगत कई संतों को रखा जाता है। पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गादास ने बताया कि जो भी दक्षिणा मिलती है उसे बही खाते में दर्ज किया जाता है। खर्च को भी दर्ज करते हैं। प्रतिदिन का रोकड़ निकालते हैं।

ये भी पढ़ें:LIVE: आज महाकुंभ आएंगे सीएम योगी, 22 जनवरी को प्रयागराज में होगी कैबिनेट बैठक

अखाड़े के श्रीमहंत और तीनों मुखिया महंत बही-खाते का निरीक्षण करते हैं। यदि लेनदेन में किसी ने गड़बड़ी की तो रमता पंच उसको सजा सुनाते हैं। बड़ी गलती करने पर हुक्का पानी बंद कर देते हैं, समाज से बहिष्कृत भी कर दिया जाता है। अखाड़े में पूरी तरह से लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है। कई बार मानवीय गलती होने पर सुधरने के लिए भी मौका दिया जाता है।

जूना अखाड़ा, अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता, श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि दिन मिली दान, दक्षिणा और खर्च का प्रतिदिन शाम को हिसाब देना पड़ता है। छावनी में लाउडस्पीकर लगाकर रात नौ बजे से 12-एक बजे तक एक-एक रुपये का हिसाब देते हैं और फिर उसे बैंक में जमा किया जाता है। हेरफेर करने पर आरोपी साधु के गुरु परिवार और मढ़ी को नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है। बड़ी गड़बड़ी पर बहिष्कार तक किया जाता है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें