Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़UP Prayagraj Mahakumbh 2025 Saint Ramdas living on ganga River from 18 years with Akhand Jyot at 55 feet

महाकुंभ 2025: 18 सालों से मां गंगा की गोद में रह रहे संत, 55 फीट पर अखंड ज्योति

  • महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 संगम लोअर मार्ग पर एक कुटिया ऐसी है जो पिछले डेढ़ दशक से अपनी जगह पर कायम है। गंगा की रेती में तंबुओं की नगरी वैसे तो हर साल बसती और उजड़ती है लेकिन यह कुटिया पिछले 18 वर्षों से नहीं उजड़ी।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, राजेंद्र सिंह, आनंद सिंह, प्रयागराजTue, 7 Jan 2025 10:35 AM
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महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 19 संगम लोअर मार्ग पर एक कुटिया ऐसी है जो पिछले डेढ़ दशक से अपनी जगह पर कायम है। गंगा की रेती में तंबुओं की नगरी वैसे तो हर साल बसती और उजड़ती है लेकिन यह कुटिया पिछले 18 वर्षों से नहीं उजड़ी। इस कुटिया में संत रामदास साधनारत रहते हैं। सालभर के दौरान चाहे लू के थपेड़े लूकथ हों या बारिश-बाढ़ का मौसम, या कड़ाके की ठंड, संत रामदास पिछले 18 वर्षों से इसी कुटिया में अपने इष्ट की साधना में लीन रहते हैं। झुंसी कोहना के पार्षद अनिल कुमार यादव, मुकेश पहलवान, अरविंद पांडेय, सुनील लाला, अशोक सिंह चंदेल, सुरेंद्र सिंह आदि ने बताया कि संत रामदास ने 18 साल पहले गर्मी के मौसम में शाखी पुल के निकट गंगा की रेत पर यहां डेरा डाला था।

कुछ लोगों की नजर पड़ी तो संत के सेवाभाव में बांस बल्ली का घेरा बनाकर एक अस्थायी कुटिया बना दी। बारिश का मौसम आया तब संत रामदास नहीं हटे और उफनाती गंगा की लहरों के बीच हिलोरें खाती नाव में बैठे रहते। कुछ वर्षों बाद भदरी के राजा उदय प्रताप सिंह की मदद से 55 फीट ऊंचाई पर पारदर्शी घेरे में अखंड ज्योति जलाने की व्यवस्था की गई। यहीं पर 13 फीट ऊंचा एक मचान भी तैयार किया गया। देवरहा बाबा को अपना गुरु मानने वाले संत रामदास यहां का असली महंत भगवान भोलेनाथ को मानते हैं।

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कुटिया में की शिवलिंग की स्थापना

संत रामदास ने 2013 में कुम्भ मेला के दौरान कुटिया में ही राजराजेश्वर शिवलिंग की स्थापना की। सनातन संस्कृति का अलख जगाने और विश्व कल्याण के लिए हर वर्ष माघ मेला के दौरान भव्य पूजा पाठ और भंडारे का आयोजन होता है। पूर्व मंत्री व कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का संत रामदास के प्रति विशेष लगाव है। महाकुम्भ में पिछले एक माह से यहां नियमित भंडारा चल रहा है। संत ने झूसी के गंगा तट पर एक आश्रम भी निर्मित कराया है।

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